अंजनी राय.
बलिया. कहा जाता है कि अगर पुलिस चाह जाये तो कोई भी अपराध होने के पहले ही रुक जायेगा. अक्सर पुलिस को कहते सुना जाता है कि अगर समय पर सुचना मिल जाती तो फला अपराध रुक जाता अथवा धिमकाना अपराध नहीं होता, आप सोचिये कि जब पुलिस को सही समय पर सुचना हो और उसके बाद भी पुलिस कार्यवाही करने के बजाये अपने कर्तव्यों से मुह मोड़ ले तो फिर समाज में किस बात का डर रहेगा.
ऐसी ही एक घटना से आज दिनांक 16 सितम्बर को हम रूबरू हुवे. हम अपने कार्यो को समाप्त करके खुद के कार से रसड़ा से बेल्थरा को आ रहे थे इसी दौरान चौकिय मोड़ से लगभग 5 किलोमीटर पहले हमारी नज़र अपने आगे चल रहे एक ट्रक पर पड़ी जिसमे बड़े सलीके के साथ भैसों को छुपाकर भरा गया था. हमने इस ट्रक को हर प्रकार से देख कर एक समाज का सजग नागरिक का उदहारण देने के लिये स्थानीय सम्बंधित थाना उभाव के थाना प्रभारी के सीयुजी नंबर पर समय रात 8:44 पर पूरी सुचना दिया और बताया कि हमारी गाडी इस ट्रक के पीछे है और ट्रक आपके थाने से 6 किलोमीटर पहले है और आपके थाने के सामने से गुजरने वाली है. इस सुचना को सुनते ही थाना प्रभारी ने हमसे कहाकि अभी देखता हु और ट्रक चेक करता हु. साहेब हम भी कम नहीं थे और हमने भी अपनी गाड़ी को पीछे से हटाया नहीं तथा पीछे लगे थे कि देखा जाये आखिर कैसे ये जानवर कहा को जा रहे है. थाना आया वहा दो सिविल ड्रेस में खड़े लोगो ने उस ट्रक को टार्च जला कर रोका. हमने सोचा चलो पुलिस ने अपना काम तो किया, मगर ये क्या टार्च दिखा कर ट्रक को रोकने वाले हमारी गाड़ी को देखते ही टहलते हुवे थाने के अन्दर चले गये. इस बीच ट्रक वाला भी बहुत घाघ निकला और उसने ट्रक वही खडी रखी और अपने ट्रक का इंजन नहीं बंद किया, इस बीच हमारे पीछे से ऐसे ही 9 वाहन भैस लदी हुई गुज़र गई. मगर थाने से कोई बाहर नहीं आया, इसको देखने के बाद हमने पुलिस अधीक्षक बलिया को फ़ोन किया तो वीडियो कांफ्रेंस होने के कारण वो उसमे व्यस्त थे और उनका फ़ोन उनके pro ने उठाया और प्रकरण जानने के बाद उन्होंने कहा अभी पता करता हु. रात 8:58 मिनट पर हुई इस बातचीत के बाद भी ट्रक लगभग 5 मिनट और खडी रही और हमारे सवालो का जवाब देने के बाद वह भी अपनी ट्रक लेकर आराम से अपने गंतव्य को चला गया. मगर कई सवाल छोड़ गया उसका जवाब देने का तरीका. ट्रक ड्राईवर ने हमको बताया कि हम लोग थाने पर पहले 200 रुपया देते थे मगर अब यहाँ पर 500 रुपया देते है. हर शनिवार को लगभग 15-20 ट्रक यहा से गुज़रते है. उन्होंने बताया की हम लोग इन जानवरों को लेकर फैजाबाद को जा रहे है.
अब सवाल यह पैदा होता है कि जब पत्रकारों द्वारा दी गई सुचना पर भी थाना प्रभारी ने कोई कार्यवाही नहीं किया और साहेब कार्यवाही करना तो दूर देखना भी ज़रूरी नहीं समझा कि आखिर ट्रक में कैसे जानवर है और कहा ले जाया जा रहा है. तो फिर आम नागरिक की सुचना पर और शिकायतों पर थानेदार साहेब क्या कार्यवाही करते होंगे इसको भली भाती समझा जा सकता है. इसके अलावा अगर ये पशु वैध तरीके से ले जाये जा रहे थे तो फिर इन ट्रक चालको के आरोपों के अनुसार पुलिस फिर कैसे पैसे ले रही है. हकीकत शायद वक्त के धुल में दब चुकी है. अगर स्थानीय थानेदार महोदय ने सुचना के अनुसार सही समय पर इस वाहन की चेकिंग किया होता तो फिर आज शायद हम और समाचार लिख रहे होते,
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