पलिया में बीते दिनों हुए मंडी सचिव के भ्रष्टाचार को रोकने हेतु बिना तौल किये कोटेदारों को आवंटित किये जाने वाले खाद्यान्न को मंडी परिसर से बाहर नहीं निकलने के आदेश देते ही जैसे कोटेदारों में तो खुशी की लहर दौड़ गयी कि उनको दिये जाने वाला खाद्यान्न न जाने कितने वर्षों उनको कम ही मिल रहा था परंतु मंडी सचिव के आदेश होते ही अब उनको खाद्यान्न पूरा ही मिल जायेगा।
क्योंकि बीते कई वर्षों से मंडी परिसर में सार्वजनिक वितरण व्यवस्था के तहत कोटे पर दी जाने वाली खाद्यान्न से भरी गाड़ी कोटेदारों को हमेशा से कम ही मिलती थी और इसकी पोल जब खुली जब मंडी सचिव के आदेश पर किसी भी गाड़ी को बिना तौल और प्रपत्र की जांच के बिना मंडी परिसर से बाहर जाने को मना कर दिया गया और जब पहली गाड़ी तौली गयी तो मंडी में हो रहे भ्रष्टाचार का उजागर हुआ क्योंकि गाड़ी में पूरे छ कुन्तल अनाज कम था जो खुले शब्दो में अपनी भ्रष्टाचार की कहानी को बंया कर रहा है ।
उल्लेखनीय है कि मंडी परिसर में हो रहे घोटालों से कोई भी अन्जान नहीं है फिर वो चाहें मंडी के आढती कर रहें हो या फिर कोई और परंतु एक बात तो सामने आ रही है कि मंडी परिसर में सिर्फ औ सिर्फ सार्वजनिक वितरण व्यवस्था के तहत कोटेदारों को दिये जाने वाले खाद्यान्न में बड़ी धाधली सा सामने नजर आ रहीं हैं जो कि सोचनीय विषय बन चुका है ।
मंडी सचिव के निर्देश देने के साथ ही अब बिना तौल कि ये और अपना प्र पत्र जाँच करवाये कोई भी गाड़ी अब बाहर नहीं जा रही हैं जिसमें हमेशा से आढतियों के गाड़ियों को कम वजन में आँका जा ता था था परंतु अब स्पष्ट हो गया क्योंकि आढतियों के द्वारा बाहर भेजी जा रही गाड़ियों में वजन सही पाया गया परंतु हमारे आवश्यक वस्तु निगम के गोदाम से कोटेदारों को दिये जाने वाले खाद्यान्न के वजन में घटतौली उजागर हो रही है।
साथ ही जानकारी यह भी मिली है कि बीते दिनों मंडी सचिव के इस तरह के आदेश देते ही गोदाम प्रभारी भारत भूषण सिंह के द्वारा मंडी सचिव धर्मेंद्र सिंह को खुलेआम देख लेने की धमकी दी गयी थी और साथ ही उन्हे वरदहस्त प्राप्त अधिकारियों के द्वारा उन्हें भयभीत करने का प्रयास भी किया गया था , साथ ही जानकारी यह भी मिली है कि इस तरह के गोदाम प्रभारी के द्वारा की गयी मंडी सचिव के साथ दंबगयी उनके आफिस में अकेले में नहीं की गयी बल्कि उनके मध्य बैठे पत्रकारों के सामने ही दंबग गोदाम प्रभारी ने की थी अब सोचने का विषय है कि यदि कुछ लेखाकारो के सचिव के मध्य बैठे होने के बावजूद भी एक अधिकारी के साथ इस तरह की दंबगयी करना बहुत बड़े कारनामे की ओर संकेत कर रहा है कि कहीं मंडी में हो रहे खाद्यान्न की घटतौली में बंदरबाट तो नहीं किया जा रहा है ।
फिलहाल सूत्रों से एक और बात संज्ञान में यह भी आ रही है कि अब मंडी सचिव को भ्रष्टाचार में सलिप्त करने या फिर उन पर दबाव की कोशिश राजनीतिक पहलू में बदल चुकी है कि वह मंडी परिसर में चल रही भ्रष्टाचार पर किसी तरह का अंकुश न लगाकर पहले की तरह ही चलने दिया जाये। परंतु इस तरह की घटनाओं को संज्ञान में लेते हुए सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि मंडी सचिव ने इस प्रकरण से जुड़ी हर बात को उच्च स्तरीय अधिकारियों और शासन को पहुँचाने की प्रक्रिया लिखित में पूरी कर चुके हैं । वैसे जो भी हो अब देखना यह है कि इस घटतौली के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा रहेगा या फिर राजनीतिक दबाव या फिर गोदाम प्रभारी पर किसी तरह की कोई कार्य वाही शासन के तहत हो पायेगी ।
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