मऊ. राजनीती में बाहुबलियों के प्रवेश के पहले जनबल पर प्रत्याशियों का निर्धारण होता था. जिसके पास जितने जनता का समर्थन वह उतना जनबल शाली समझा जाता था. फिर राजनीती में बाहुबल का पदार्पण होने के बाद जनबल पीछे छुटता नज़र आने लगा था. अब एक बार फिर राजनैतिक दलों का आकर्षण जनबल के तरफ खिचता दिखाई दे रहा है इसी बीच बसपा की घटती लोकप्रियता के बीच बसपा सुप्रीमो मायावती लोकसभा चुनावो की तयारी में जुटी नज़र आ रही है. यदि मौजूदा राजनैतिक गतिविधियों पर नज़र डाले तो पूर्वांचल में बसपा के नैया को अब अंसारी बंधू ही चलाते नज़र आ रहे है. इस बीच बसपा के लिये अंसारी बन्धुओ के अगली पीढी के तौर पर उनकी राजनैतिक वरासत को सँभालने के लिये एक नया नाम नवजवान सामने आ रहा है जो अपने पिता और ताऊ के राजनैतिक विरासत को संभालता नज़र आ रहा है फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार यह वरासत किसी अन्य बल नहीं बल्कि जनबल के रूप में उसके साथ है. ये नाम है मुख़्तार अंसारी के पुत्र अब्बास अंसारी का.
घोसी विधानसभा सीट पर अब्बास का लाजवाब प्रदर्शन रहा और विपक्ष को एडी से चोटी का जोर लगाना पड़ा था. इस बीच अब्बास अंसारी यूथ आइकान के तौर पर उभर कर सामने आया एक नाम हुआ और नवजवानों ने खूब बढ़ चढ़ कर इस नवजवान को अपना आइडियल बनाया. एक चार्म जैसा नज़र आया यूथ के बीच इस नवजवान को अपना रहनुमा बनाने का, मगर शायद सफलता में थोड़ी सी कमी रह गई और सफलता लगभग कदमो में आते आते रह गई. मगर इस नवजवान ने फिर भी हताशा को अपने ऊपर न ओढ़ कर दुसरे ही दिन से वापस जन संपर्क बनाये रखा और आज अगर पूर्वांचल में जन बल में धनी नेताओ का नाम तलाशा जाये तो उसमे अब्बास अंसारी का नाम सबसे ऊपर रहेगा. यह जनबल किसी एक वर्ग पर आश्रित जन बल नहीं है बल्कि अब्बास के साथ सभी धर्मो और जाति के युवक दिखाई पड़ते है जो अब्बास को अपना आइडियल मानते है.
अब बसपा अब्बास की यूथ लोकप्रियता को बाहुबली रमाकांत के मुकाबले खड़ा करने की तयारी कर रही है. यदि ऐसा होता है तो बाहुबली रमाकांत के लिये आजमगढ़ में अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिये एडी से चोटी का जोर लगाना पड़ सकता है क्योकि अब्बास की अच्छी पकड़ केवल मऊ ही नहीं बल्कि आजमगढ़ में भी है. उस पर से पिता और ताऊ के अपने वोट बैंक भी है. जो रमाकांत के खिलाफ जायेगे और अब्बास के साथ खड़े नज़र आयेगे. अपनी सियासत को खत्म होने से बचाने हेतु 4 बार सत्ता का सुख भोग चुकी मायावती इस मौके को अवश्य भुनाना चाहेगी वही अगर ऐसा हुआ तो मुकाबला कांटे का बहुबल के खिलाफ जनबल का होगा. अब देखना होगा की 2019 हेतु मायावती कब तक इस सीट पर अपने प्रत्याशी की घोषणा करती है. मगर राजनैतिक जानकर इस सीट पर अब्बास का टिकट पक्का मान कर चल रहे है.
आदिल अहमद डेस्क: कैलाश गहलोत के आम आदमी पार्टी से इस्तीफ़ा देने पर राज्यसभा सांसद…
आफताब फारुकी डेस्क: बीती रात रूस ने यूक्रेन की कई जगहों पर कई मिसाइलों और…
तारिक खान डेस्क: दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने मंत्री पद और आम…
फारुख हुसैन डेस्क: मणिपुर में शनिवार को हुई हिंसा पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने…
अबरार अहमद डेस्क: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से शनिवार को फूलपुर में…
माही अंसारी डेस्क: मणिपुर और असम की सीमा के पास जिरी नदी में शुक्रवार को…