बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी जब राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर आरोप लगाते हैं, तब शायद ही उनके परिवार से कोई प्रतिक्रिया सामने आती हैं. लेकिन मंगलवार को अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मलेन में जब सुशील मोदी ने मिट्टी घोटाले की जांच निगरानी विभाग से कराने की घोषणा कि तब तेजस्वी यादव भी जवाब देने सामने आए. लेकिन कैमरा या संवाददाता सम्मलेन के जरिये नहीं, बल्कि ट्विटर और फेसबुक के माध्यम से. सुशील मोदी ने विधिवत रूप से निगरानी से जांच कराने की घोषणा करते हुए कहा कि जब पांच लाख से अधिक की खरीद निविदा के माध्यम से कराने का प्रावधान है, तब मिट्टी की खरीद मात्र कोटेशन के माध्यम से कैसे की गई. इससे संबंधित सूचना का प्रकाशन किसी समाचार पत्र में क्यों नहीं कराया गया. उन्होंने ने सीधा आरोप लगाया कि विभागीय फाइल के अध्ययन से साफ है कि कोटेशन को मैनेज करके कार्य का आवंटन किया गया. सूर्यास्त के बाद उद्यान क्षेत्र में निर्माण कार्य पर प्रतिबंध के बाबजूद महीनों तक रात में मिट्टी की ढुलाई कैसे की गई.
सुशील मोदी ने जो सबसे गंभीर आरोप लगाया और जिससे उनके वन और पर्यावरण विभाग के कई अधिकारी जेल जा सकते हैं, वह ये कि तेजस्वी के मॉल की मिट्टी और उद्यान में प्रयुक्त मिट्टी की कभी जांच कराने का प्रयास क्यों नहीं किया गया. किन परिस्थितयों में इस मामले के उजागर होने के बाद लालू यादव के घर के गोबर को चिड़ियाघर में इस्तेमाल के लिए स्वीकार किया गया. निश्चित रूप से इन बिंदुओं पर जांच होने पर न केवल तेजप्रताप यादव, बल्कि तेजस्वी यादव भी फंस सकते हैं. अगर विभाग के अधिकारियों ने जेल जाने क डर से जांच अधिकारियों के सामने सही बात स्वीकार कर ली तो निश्चित रूप से लालू और उनके परिवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
वहीं तेजस्वी यादव ने मोदी के संवाददाता सम्मलेन के बाद मोर्चा संभाला. तेजस्वी ने सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट के माध्यम से पूछा कि जब मुख्य सचिव द्वारा गठित जांच समिति ने सभी बिंदुओं पर किसी तरह की अनियमितता से इनकार कर दिया, तब सुशील मोदी खुद मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह से क्यों नहीं पूछ लेते. तेजस्वी का कहना है कि जब सुशील मोदी विपक्ष के नेता थे तब मुख्य सचिव ने उनके आरोपों का जवाब दिया था. उन्होंने कहा कि सुशील मोदी ने अपने पूर्व के कार्यकाल में 175 करोड़ का काम बिना किसी टेंडर के दिया था. तेजस्वी ने पूछा कि क्या आपको मुख्य सचिव की काबिलियत पर भरोसा नहीं है. निश्चित रूप से तेजस्वी यादव को मालूम है कि निगरानी की जांच की जद में न केवल वह, बल्कि उनके बड़े भाई तेजप्रताप यादव भी आ जाएंगे और निगरानी विभाग का कोई जांच अधिकारी फिलहाल पटना हाईकोर्ट के डर से इस मामले में कुछ खास नरमी नहीं बरतने वाला. तेजप्रताप यादव जो अब तक सभी जांच एजेंसियों से बचते रहे थे, उन्हें भी पूछताछ का सामना करना पड़ सकता है.
हालांकि नीतीश कुमार के लिए दिक्कत होगी कि मोदी इस मामले में कार्रवाई कर साबित करने की कोशिश करेंगे कि उन्होंने इस पूरे मामले को तार्किक अंजाम तक पहुंचाया, जबकि सत्ता में बने रहने के लिए नीतीश अपने सहयोगियों के सामने झुकते रहे.
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