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नहीं है खरीदार भेड के बाल के, छाई पालको में उदासी.

फारूख हुसैन // लखीमपुर खीरी

एक ओर तो सरकार द्वारा  भेड़ पालन को आगे बढाने की बात चलाई जा रही है जिससे की देश की ऊन बनाने वाली फैक्टरियों को लगातार भेड़ो के बाल उपलब्ध होते रहें,परंतु जब से फैक्टरियों में अन्य तरीकों से गर्म वस्तुएँ  बननी शुरू हो गयी तो भेड़ के द्वारा प्राप्त हो रहे बालों की जैसे जरूरत ही खत्म होती गयी और भेड़ पालक लोगों की नजर में केवल उपहास का पात्र ही नजर आने लगे,एक जमाना था कि जो लोग भेड़ पालन करते थे उनको बहुत ही महत्व दिया जाता था. क्योंकि सभी को मालूम था कि भेड़ के बालों के द्वारा ही उम्दा किस्म का ऊन प्राप्त होता है जिसके बने स्वेटर जाकेट सहित बहुत सी वस्तुएँ हम अपने कामों में लाते हैं और तो और हमें छोटे क्लास से ही भेड़ो की उपयोगिता के बारे में बताया जाता रहा है।

परंतु जब बात आती है भेड़ पालने वालों की तो शायद हम उनकी ओर ध्यान नहीं देते हैं कि उनकी स्थिति क्या है और वो किस प्रकार से अपना जीवन यापन कर रहें हैं जब कि उनके एक मात्र व्यापार भेड़ पालन ही है और जब भेड़ो से निकलने वाले बालों को खरीदने से ही इन्कार किया जाने लगे तो उनकी स्थिति क्या होगी। कुछ इस तरह की जानकारी जब हमारे खीरी संवाददाता फारूख हुसैन को हुई तो वह उनका जायजा लेने के लिए खीरी जिले के तहसील पलिया कलां पहुँचे और उन्होंने भेड़ पालन का जायजा लिया जहाँ के गड़रियो भेड़ पालको में सरकार  के प्रति भी काफी आक्रोश देखने को मिला । बातचीत पर भेड़ पालकों ने बताया कि हमारा एक मात्र व्यापार भेड़ पालन है और भेड़ो से प्राप्त बालों को वह बाहर की फैक्टरियों में लगभग ढाई सौ रूपये किलो बेच देते थे । जिसकी शुरुआत बीस रूपये किलो से शुरू हुई थी।

 जिससे उनका और उनके परिवार को पेट पलता था , लेकिन इधर लगभग  पाँच वर्षों से बालों का खरीदना बिल्कुल बंद हो चुका है और इसके कारण वह भेड़ के काटे गये बालों को कूड़े के ढेर पर फेंक देते है और एक से ढेड़ माह में उनको प्रत्येक भेड़ के बालों को काटना पड़ते हैं जिसमें काफी ज्यादा वक्त लग जाता है ।परंतु जब से बालों के खरिदना बंद हुआ है उस कारण अब उनके खाने के लाले पड़ने लगे है उन्होंने यह भी बताया कि अब वह भेड़ पालन जल्द ही खत्म कर देंगे। साथ ही उन्होंने बताया कि भेड़ पालन उनके पूर्वजों के द्वारा ही चलाया गया है भेड़ पालन में उनको बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है उनके पालन के लिए उन्हे बाड़ भी बनानी पड़ती है और वह गंदगी भी बहुत करते हैं जिन्हे साफ सफाई का भी विशेष ध्यान रखना पड़ता पड़ता है एक बाड़ में लगभग दो सौ से ढाई  सौ भेड़ रखी जाती हैं और उनकी भोजन की भी समस्या बहुत होती है खासकर बरसात के दिनों में जब चारों ओर पानी भर जाता है।

उनके द्वारा यह भी बताया गया कि पूरे जिले में लगभग पाँच सौ के आस पास परिवार भेड़ पालन करते हैं जिसमें खासकर फरसइया, निघासन,इटैया ,झब्बा पुरवा ,पकरिया ग्राम खाश  हैं  जो कि पूरी तरह से भेड़ पालन पर ही निर्भर हैं। फिलहाल भेड़ पालकों की स्थिति काफी ज्यादा दयनीय हो चुकी है यदि सरकार द्वारा भेड़ पालन के लिए  कोई उचित व्यवस्था नहीं की गयी तो जल्द ही भेड़ पालन पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा।

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