मेरठ. पोलिटिक्स और बालीवुड के ग्लैमर में कितना फर्क होता है शायद कांग्रेस के दो नेता राजबब्बर और नगमा को समझने में अभी और समय लगेगा. बोलीवुड ग्लैमर में आप किसी अपने चाहने वाले को धक्के देकर हटा देते है तो वह भले ही चल जाये. मगर सियासत में ऐसा नहीं होता है. राहत इन्दौरी का एक शेर है
“सियासत में ज़रूरी है वफादारी समझता है,
वह रोज़ा तो नहीं रखता मगर इफ्तारी समझता है.
ऐसा ही कुछ नज़ारा बुधवार को इंदिरा गांधी के जन्म शताब्दी समारोह कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं की अनुशासनहीनता देखने को मिली। कार्यक्रम के मंच पर केवल वरिष्ठ पदाधिकापरियों के बैठने की व्यवस्था थी लेकिन मंच पर करीब 100 कार्यकर्ता खड़े हो गए। इससे मंच की पूरी व्यवस्था गड़बड़ा गई। हालात ये हो गए कि प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर को स्वयं उठकर कार्यकताओं को मंच से नीचे धकेल कर हटाना पड़ा। इस दौरान जमकर धक्का-मुक्की हुई।
मंच पर कार्यकर्ताओं की भीड़ के कारण जब कार्यक्रम में अव्यवस्था होनी लगी। इस दौराम मंच पर अपनी कुर्सी से उठकर प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर को आना पड़ा। राजबब्बर ने मंच पर खड़े कार्यकर्ताओं को नीचे धकेल कर हटा दिया। इस दौरान वहां मौजूद कार्यकर्ताओं में भी आपस में नोंकझोंक हुई।
दरअसल, कार्यकर्ता खुद मंच से नीचे नहीं आ रहे थे और वहां खड़े अन्य कार्यकर्ताओं को नीचे उतरने की सलाह दे रहे थे। इस दौरान व्यवस्था में लगे कांग्रेस सेवादल के कार्यकर्ता बेबस नजर आ रहे थे। मंच से की जा रही कार्यकर्ताओं को नीचे उतरने की अपील का भी कोई असर नहीं हो रहा था। इस दौरान वहां मौजूद नगमा यह सब देख हसंती रही।
कार्यकर्ताओं के अनुशासन हीनता को देखकर प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद भी नाराज हुए। जब उन्हें संबोधन के लिए बुलाया गया तो उन्होंने यह कहकर बोलने से इंकार कर दिया कि जब तक मंच पर मौजूद कार्यकर्ताओं की भीड़ नीचे नहीं उतरेगी वह कुछ नहीं बोलेंगे। गुलाम नबी आजाद ने कार्यकर्ताओं को नसीहत दी कहा, “वह फोटो खिंचवाने और चेहरा दिखाने की राजनीति न करे। अनुशासन नाम की कोई चीज यहां दिखाई नहीं दे रहा है। कार्यकर्ताओं की मंच पर भीड़ के कारण मंच पर बैठे लोगों को सांस लेना मुश्किल हो गया है।” – प्रदेश प्रभारी के तेवर देखकर कुछ कार्यकर्ता मंच से उतरे लेकिन अधिकतर मंच पर डटे रहे।
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