अनिल कुमार
कोच्चि। कुछ समय पहले स्वयं पर लगे आजीवन प्रतिबंध के हटने से खुश हुए भारत के क्रिकेट खिलाड़ी श्रीसंत की खुशियां फिर से निराशा में बदल गई हैं। केरल उच्च न्यायालय ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की याचिका पर श्रीसंत पर आजीवन प्रतिबंध का फैसला बरकरार रखा है। मुख्य न्यायाधीश नवनीत प्रसाद सिंह वाली खंडपीठ ने कहा कि अदालत भारत में बीसीसीआई द्वारा लगाए गए आजीवन प्रतिबंध पर न्यायिक समीक्षा नहीं कर सकता और इसलिए अपील को स्वीकार करते हुए श्रीसंत पर लगा प्रतिबंध बरकरार रखता है।
उल्लेखनीय है कि केरल उच्च न्यायलय ने अगस्त में श्रीसंत पर लगे आजीवन प्रतिबंध को हटा दिया था। केरल उच्च न्यायालय पिछले दो दिनों से इस मामले पर सुनवाई कर रहा था और मंगलवार को उसने इस मामले पर अपना फैसला सुनाया। इस फैसले के कारण श्रीसंत के न केवल रणजी सत्र में खेलने की उम्मीदों को करारा झटका लगा है, बल्कि अब वह देश में किसी भी स्टेडियम में प्रशिक्षण नहीं कर सकते। इस बात से नाराज श्रीसंत ने ट्विटर पर लिखा, यह सबसे खराब फैसला है। मेरे लिए क्या कोई खास नियम है? असली अपराधी का क्या? चेन्नई सुपर किंग्स का क्या? और राजस्थान का क्या? केरल क्रिकेट संघ के सचिव जयेश जॉर्ज ने मीडिया से कहा जब से श्रीसंत पर लगा आजीवन प्रतिबंध हटा था, तब से ही केरल संघ उनका समर्थन कर रहा था जॉर्ज ने कहा, हमने उनके पूरे फिटनेस के लिए कई प्रबंध किए थे, ताकि वह मैच के लिए फिट हो जाएं। अब इस फैसले का भी हमें सम्मान करना होगा। श्रीसंत के पास अब एक ही विकल्प रह गया है कि वह सर्वोच्च न्यायालय से इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। करीबी सूत्रों के अनुसार, श्रीसंत इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय से अपील करेंगे ।
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