अभी हाल में जौनपुर में जो हुआ वो समाजवादी पार्टी के लिए बहुत बड़ी खबर कही जा सकती है क्योकि ऐसे समय में जहाँ पर उनकी पार्टी से बड़े बड़े नेताओ का जाना लगा हुआ है वहीँ जौनपुर में एक उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को जीत हासिल हुई जो सपा के लिए खुशखबरी से कम नहीं है. आपकी जानकारी के लिए बता दें ये सीट पहले भी सपा के ही पास थी लेकिन जनप्रतिनिधि की असमय मौत से इस सीट पर दुबारा चुनाव हुआ.
कौन था पहले इस सीट पर ?
आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि सपा के ही नेता और उत्तरप्रदेश में इतनी बड़ी शख्सियत कि जिसे कभी मिनी मुख्यमंत्री कहा जाता तो पारसनाथ यादव की पत्नी ब्लाक प्रमुख थी ! ये चुनाव वो उस समय जीती थी जब प्रदेश में सपा की सरकार थी !
सपा ने किसे उतारा मैदान में ?
अभी हाल में इसी वर्ष उनका निधन हो गया तो ये सीट खाली हो गयी ! जैसा कि सबको पता है कि इस साल उत्तरपदेश में जो विधानसभा के चुनाव हुए उनमें सपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था ! ऐसे में भी पारसनाथ ने तो अपनी सीट बचा ली थी ! पारसनाथ ने अपनी पुत्रवधू को मैदान में उतारा था ! उनकी टक्कर में भाजपा का प्रत्याशी था ! पारसनाथ की पुत्रबधू को 88 वोट मिले वहीँ भाजपा वाला 10 वोट जुटा पाया और हार गया !
विधानसभा चुनाव में जो हाल हुआ था उससे पारसनाथ के लिए ये ब्लाक प्रमुख की सीट उनकी प्रतिष्ठा का सवाल बन गयी थी ! उन्हें कैसे भी करके इस सीट को जीतना था और अखिलेश को भी यकीन दिलाना था कि जहाँ जिला पंचायत और ब्लाक प्रमुख के चुनाव में भाजपा के लोग ही कब्ज़ा कर रहे ऐसे में बड़े स्तर पर भाजपा को हराकर पार्टी के कार्यकर्ताओं को सन्देश भी देना था कि क्षेत्र में मजबूत पकड़ बनाकर ऐसी विपरीत स्तिथि में भी जीता जा सकता है !
भाजपा की लहर में भी जीते थे पारसनाथ
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जहाँ 2017 में भाजपा की लहर में कई कद्दावर नेता धरासाही हो गये ऐसे में भी लगातार दूसरी बार मल्हनी सीट पर पारसनाथ ने जीत का झंडा फिराया था ! पारसनाथ का जलबा ऐसा कि सिर्फ उनकी वजह से जिले की 9 सीट में से ऐसी भाजपा लहर में भी 3 सीटें सपा को मिली !
ये हैं पार्टी में पारसनाथ का कद
पारसनाथ की पार्टी में क्या वैल्यू है उसका अंदाजा आप इस बात से लगाओ कि जब अखिलेश यादव टिकट बाटने में शिवपाल और मुलायम के करीबियों का टिकट काट रहे थे तब भी वो पारसनाथ का टिकट न काट सके ! इतना ही नहीं मुलायम जहाँ अखिलेश से नाराज थे तो शिवपाल के अलावा चुनाव प्रचार के लिए सिर्फ पारसनाथ के साथ ही पहुँचे थे !
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