वाराणसी. अकीदत की बुनियाद है ताजियादारी. ताजिये हमेशा से आस्था के साथ आकर्षण का केंद्र रही है. वाराणसी के हसनपुरा (बहलिया टोला) में तामीर ताजिया आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. पिंजड़ो की जाली से तामीर इस ताजिया की रंगोरोगन और चमक दमक के अलावा मुख्य आकर्षण इसके गुम्बद पर बना चाँद था जो लगातार घूम रहा था. इस ताजिये की तामीर पिंजड़ो को बनाने में उपयोग होने वाली जाली से हुई है. इसके अलावा इसको सुनहरे रंग से पेंट किया गया है.
इस ताजिया के मुतवल्ली इमामुद्दीन खलीफा ने हमसे बात करते हुवे बताया कि इस ताजिया का इतिहास लगभग 400 साल पुराना है. इस ताजिये को पुरे एह्तेमाम से रखा जाता है और दसवी मुहर्रम को पुरे अदब-ओ-एहतराम के साथ इसको ठण्डा किया जाता है. इमामुद्दीन खालिफा ने बताया की इस साल ताजिये के निर्माण में मुख्यतः कामरान, बाबू, अकरम, भुट्टो और एहसान आदि ने मुख्य भूमिका निभाई है.
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