वाराणसी – मुहर्रम की अकीदत केवल बड़ो में और समझदारो में ही नहीं है बल्कि नन्हे और मासूम बच्चो में भी है जिसकी एक झलक आदमपुर थाना क्षेत्र के सलीमपुरा में देखने को मिली. इस क्षेत्र में मासूम बच्चो ने इस साल अपने नन्हे हाथो से शीशे, वाल पेपर, नगीना और लकड़ी की मदद से एक कदीमी ताजिये को नया रूप दिया है.
जी हां जिस ताजिये की तस्वीर आप लोग देख रहे है वह एक कदीमी ताजिया है जिसके दो मुतवल्ली है. एक है इलाके के बुज़ुर्ग मतिउल्लाह चचा और दुसरे है इलाके के ही मुन्नू इलाहिया. इसके अलावा शाहिद खान और अन्य क्षेत्र के बड़े लोगो की सरपरस्ती में इस साल मासूम बच्चो ने इस कदीमी ताजिये को नया रूप प्रदान किया है. लकड़ी को बेस लेकर वाल पेपर और शीशे के साथ नगीने से इस ताजिये को नये सिरे से सजाया गया. इन सभी बच्चो की आप उम्र का अंदाजा इसी से लगा सकते है कि उम्र में सबसे बड़ा 12 वर्षीय शहजाद है तो सबसे छोटा 5 साल का अल्बकश है. इसके अलावा समीर, पूची, शमशेर, पुल्लू, रेहान आदि ने मिल कर इस ताजिया का निर्माण किया है. ताजिया की चमक दमक को भी इस निर्माण में ध्यान में रखा गया है. इस ताजिये का गुम्बद महीन नक्काशी वाले नगीने से किया गया है.
क्षेत्र में इस ताजिये में मासूम बच्चो के योगदान की जहा प्रशंसा हो रही है वही दूर दूर से लोग इस ताजिये को देखने भी आ रहे है.
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