बड़ागाँव/वाराणसी। – क्षेत्र के राजेश्वरी महिला महाविद्यालय में महर्षि वाल्मीकि की जयंती के अवसर पर बुधवार को एक गोष्ठी का आयोजन किया गया lगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रख्यात साहित्यकार डॉ राघवेन्द्र नारायण ने कहा कि वाल्मीकि जी का जीवन अपने आप में एक मिसाल है. डाकू से प्रारम्भ हुआ उनका जीवन रामायण जैसे ग्रन्थ के रचयिता के रूप में समाप्त हुआ यह जीवन का बदलाव हमे यह बताता है कि हम अगर चाहे तो अपने जीवन में बदलाव कर सकते है। आवश्कता है तो सिर्फ मज़बूत मानसिकता की महर्षि वाल्मीकि ना सिर्फ संस्कृत के विद्वान थे बल्कि उन्हें अन्य भाषाओं की भी अच्छी जानकारी थी l मनुष्य को सदभाव के पथ पर चलने के लिए प्रेरित किया l इसी लिए आज के दिन उनकी जयंती को हम गर्व के साथ मना रहे हैं और सामाजिक परंपरा की उस अविच्छिन्न मूल सांस्कृतिक और साहित्यिक धारा का अंग है जो हजारों हजार सालों से भारत भूमि पर प्रवाहमान है। अकेले रामायण ही हमारी सम्पूर्ण संस्कृति को परिभाषित और व्याख्यायित करने के लिए पर्याप्त है।इस ग्रंथ ने भारतीय जनमानस को जीने की एक ऐसी पद्धति दी है जो आज भी उसी तरह स्वीकार्य और व्यावहारिक है जितना वह सदियों पूर्व रही होगी। कार्यक्रम में कॉलेज के प्राध्यापकों ने भी अपने विचार व्यक्त किए l कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुरभि श्रीवास्तव ने किया और धन्यवाद ज्ञापन कॉलेज के उप प्रबंध निदेशक अंशुमान सिंह ने किया
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