यमन के पूर्व राष्ट्रपति और यमन की नेश्नल कांग्रेस पार्टी के प्रमुख अली अब्दुल्लाह सालेह का कहना है कि देश का वर्तमान युद्ध, यमनी पक्षों के बीच युद्ध नहीं है बल्कि यमनी- सऊदी युद्ध है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यमन के पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह ने शनिवार को नेश्नल कांग्रेस पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच भाषण देते हुए यमनी गुटों के बीच हर प्रकार के गृहयुद्ध का खंडन किया और कहा कि सऊदी अरब ने अपने पिट्ठुओं की सहायता से सऊदी – यमनी युद्ध को यमन के विभाजन के लिए आरंभ किया है।
अली अब्दुल्लाह सालेह ने सऊदी अरब पर यमन के विभाजन के लिए वर्ष 1994 में गृहयुद्ध आरंभ करने के प्रयास का आरोप लगाया और कहा कि रियाज़, तत्कालीन राष्ट्रपति मंसूर हादी जैसे अपने पिट्ठुओं की सहायता से जो यमनियों के बीच अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं और फ़रार हैं, देश के विभाजन के प्रयास में है।
यमन के पूर्व राष्ट्रपति ने सऊदी अतिक्रमणकारियों के मुक़ाबले के लिए देश के भीतरी मोर्चे की मज़बूती और सुरक्षा पर बल देते हुए कहा कि यमनी राष्ट्र एेतिहासिक दुश्मन के रूप में सऊदी अरब से मुक़ाबले के लिए अपनी क्रांति जारी रखेगा। सऊदी अरब ने अमरीका के समर्थन और संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्ण मौन के साए में मार्च 2015 से यमन का ज़मीनी, हवाई और समुद्री परिवेष्टन कर रखा है। सऊदी अरब, यमन के त्यागपत्र दे चुके राष्ट्रपति मंसूर हादी को सत्ता में पहुंचाने के लिए यमन पर व्यापक हमले कर रहा है।
यमन पर सऊदी अरब के हमलों में अब तक 13 हज़ार से अधिक यमनी हताहत, दसियों हज़ार घायल और लाखों बेघर हो चुके हैं। सऊदी अरब के हमलों के कारण इस देश का आधार भूत ढांचा भी तबाह हो गया है। निर्धन अरब देश यमन पर सऊदी अरब के व्यापक हमलों के कारण इस देश को दवाओं और खाद्य पदार्थों की कमी का सामना है जिसके कारण विभिन्न प्रकार की बीमारियां पैदा हो रही हैं।
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