अनुपम राज
वाराणसी. बी.एच.यू. के कुलपति जी.सी. त्रिपाठी के बयान पर आम आदमी पार्टी पूर्वांचल प्रांत संयोजक संजीव सिंह ने कहा कि हमारे आरोप अब कुलपति के बयान से स्पष्ट हो गया कि इनके पीछे छिपा कोई और कुलपति था जो सभी कामकाज में हस्तक्षेपकर रहा था। ये सिर्फ रबर स्टाम्प कुलपति थे। ऐसी स्थिति में कुलपति के पूरे कार्यकाल का हर फैसला जांच के दायरे में आ जाता है। उसमें गैरमानक की दवाओं की आपूर्ति जिससे निर्दोष मरीजों की आँख की रोशनी ” अखफोङवा ” काण्ड के तहत चली गयी या आक्सीजन के नाम पर औद्योगिक नाइट्रस आक्साइड गैस की आपूर्ति हो। इनके गलत फैसलों के कारण दर्जनों जानें गई और कितने ही लोग विकलांग हो गए। वही नियुक्तिओ के मामले में देखा जाय तो विभिन्न संकायों में योग्य लोगों की अनदेखी कर अयोग्य या मानक को न पूरा करने वाले लोगों की नियुक्ति लेक्चरर के रूप में कर दिया गया वही फिजी में यौन शोषण का भगोड़ा अपराधी ङा ओ.पी .उपाध्याय जैसे लोगों को सर सुंदरलाल अस्पताल का मेडिकल सुपरिडेंट बना देना,छेड़खानी का विरोध करनें वाली अपने ही छात्राओं पर आधी रात को लाठीचार्ज कराकर उन्हें पीटवाना, कुलपति जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति की गैरजिम्मेदारी साफ दिखी। ये कृत्य देश और विदेश में अपनी अलग पहचान रखने वाले बी.एच.यू. विश्वविद्यालय के कुलपति की है जो किसी भी दशा में क्षम्य नहीं हो सकती। इस तरह के अक्षम लोग कुलपति होंगे तो किस तरह के मेधावी संस्थानों से निकलेंगे समझा जा सकता है।
भविष्य में कोई कुलपति या कोई अन्य जिम्मेदार व्यक्ति ऐसी हरकत न करे इसके लिए इनके पूरे कार्यकाल की सी.बी.आई. जांच और तत्काल प्रभाव से इनकी व इनसे जबरन गलत कराने वाले व्यक्ति की गिरफ्तारी होनी चाहिए। इनका सार्वजनिक बयान अपराध स्वीकार कर चुका है। जांच अन्य संलिप्त लोगों पर कार्रवाई के लिए आवश्यक है। ठीक से तो हत्या की साजिश और हत्या का भी मुकदमा दर्ज होना चाहिए। विश्वविद्यालय का मान सम्मान प्रतिष्ठा धूलधूसरित करने के लिए संस्था की मानहानि का भी मामला बनता है। जिसे न्यायालय के ध्यान में लाया जाना आवश्यक है। इसे जनहित वाद के जरिए न्यायालय में रखने पर विचार किया जा रहा है।
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