कंधा देने वालों में बड़ी बेटी गीता देवी, छोटी बेटी इंदू देवी, नातीन सुधा कुमारी, अनुराधा कुमारी, निलम कुमारी, मीनू कुमारी आदि शामिल थीं. अर्थी को घर से श्मशान घाट तक ले जाने के क्रम में तमाम अर्जकों ने जीना मरना सत्य है का नारा लगाया.
अर्थी जुलूस का नेतृत्व करने वालों में सांस्कृतिक समिति के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र पथिक, जिला संयोजक सुनील कुमार, दशरथ गुप्ता, नरेन्द्र कुमार, सिद्धेश्वर प्रसाद, अविनाश निराला, कैलास प्रसाद, जगन्नाथ प्रसाद,सुरेन्द्र प्रसाद , सुमित्रा सिन्हा, अमृत प्रसाद, जगदीश प्रसाद, राजेन्द्र प्रसाद, भत्तु साव, अर्जुन मेहता, ब्रजेन्द्र कुमार, आदि शामिल थे.
पथिक ने बताया कि लड़का और लड़की में चली आ रही भेद भाव को मिटाने, नारियों को आगे बढ़ाने, नुकसान देने वाली ब्राह्मणवादी व्यवस्था को हटाकर मानववादी व्यवस्था स्थापित करने के उद्देश्य से ही अर्जक संघ द्वारा महिलाओं द्वारा अरथी को कंधा देने की परंपरा शुरू की गयी है.
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