गोपाल जी.
नीतीश कुमार के राज में सीओ (सर्किल ऑफिसर) गुंडे बन बैठे हैं। वो धमकी देकर गरीब का आशियाना उजाड़ रहे हैं। मामला बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के रामनगर प्रखंड का है। जहां के अंचलाधिकारी आलोक रंजन ने पहले एक व्यक्ति को उसकी झोपड़ी उजाड़ने की धमकी दी फिर 24 घंटे के अंदर आकर गरीब की झोपड़ी को तहस नहस कर दिया। यहां गौर करने वाली बात ये है कि आलोक रंजन ने नियोजित तरीके से एक ही व्यक्ति की झोपड़ी का सफाया किया जबकि वहां करीब सौ झोपड़ी और पक्के मकान बने हुए हैं। उन पक्के मकानों को छुने की सीओ साहब ने जहमत नहीं उठाई लेकिन एक गरीब को शाम में धमकी दी और सुबह अपने पूरे लाव लश्कर के साथ झोपड़ी उजाड़ गए। सीओ साहब इसे अतिक्रमण सफाया का नाम दे रहे है लेकिन अफसरगिरी के रौब में वो ये भूल गए है कि अतिक्रमण हटाया जाता है तो सबका ना कि किसी एक गरीब का। इस पूरे मामले में भूमाफियाओं के साथ सांठगांठ की बात सामने आ रही है क्योंकि जिस झोपड़ी को आलोक रंजन ने उजाड़ा है इसको लेकर डेढ़ साल पहले भी भूमाफियाओं ने निशाना बनाया था उस समय जिले के डीएम और एसडीएम के निर्देश पर गरीब की झोपड़ी बचाई गई थी।
दरअसल पश्चिम चंपारण के रामनगर में नहर के किनारे काफी लोग सिचाई विभाग की जमीन पर झोपड़ी और मकान बनाकर अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। पहले सिचाई विभाग ने इन लोगों को जमीन पट्टे पर दिया था हालांकि विभाग ने करीब दस साल पहले पट्टा को कैंसल कर दिया उसके बाद से सभी लोग अपनी झोपड़ी में वैसे ही रह रहे हैं। रवि कुमार तिवारी के मुताबिक रामनगर के सीओ ने केवल उनको 12 नवंबर को अपनी झोपड़ी हटाने का कहा और 13 नवंबर को सुबह अपने लाव लश्कर के साथ आकर झोपड़ी को तहस-नहस कर दिया। रामनगर के सीओ ने ठीक पांच कदम दूर सैकड़ों झोपड़ियों को छुने तक की हिम्मत नहीं की ऐसा लग रहा था कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर सीओ साहब को केवल एक व्यक्ति की झोपड़ी उजाड़ने का टार्गेट दिया गया था।
बेतिया के डीएम ने ये कहा
इस मामले में बेतिया के डीएम का कहना है कि वो मामले की जांच कर रहे हैं। वहीं सिचाई विभाग को एक व्यक्ति को लिए चलाए गए अतिक्रमण अभियान की कोई जानकारी नहीं है। गौरतलब है कि ये सभी झोपड़िया सिचाई विभाग की जमीन पर बनी हुई हैं और किसी तरह की कार्रवाई करने से पहले सिचाई विभाग से भी कोई संपर्क नहीं किया गया। ऐसा मालुम पड़ता है कि सीओ साहब को शाम में टार्गेट मिला और सुबह उन्होंने लोकतांत्रिक मूल्यों को भूलकर कार्रवाई कर दी।
सिचाई विभाग कर चुुका है कार्रवाई
आपको बता दें कि सिचाई विभाग की जमीन पर बनें जिस झोपड़ी को रामनगर के सीओ ने उजाड़ा है उस पर डेढ़ साल पहले भूमाफियाओं की नजर थी। उस जमीन को भूमाफियाओं ने गैरकानूनी तरीरे से शहजी जमीन को खेतीहर जमीन बताकर लीज करा लिया था उस समय भी रवि कुमार की शिकायत पर सिचाई विभाग ने भूमाफियाओं के साठगाठ पर प्रहार करते हुआ लीज कैंसल किया था और उस पूरे खेल में शामिल सिचाई विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की थी। सिचाई विभाग की ये जमीन सालों पहले रवि कुमार तिवारी की माता सिंधु देवी के नाम पर लीज की गई थी बाद में सिचाई विभाग ने लीज कैंसल कर दिया था।
अतिक्रमण के मामले में प्रशासन मूकदर्शक
गौरतलब है कि त्रिवेणी कैनाल के जुड़ा बांध पर जहां कपितय लोगों द्वारा बांध पर ही झोपड़ी, दुकान, मकान आदि बना लिया गया है। जिससे किसानों को सिंचाई करने में काफी बांधा उत्पन्न होती है। वहीं विभाग के पदाधिकारी नहरों पर लगातार बढ़ रहे अतिक्रमण को देखकर मूक दर्शक बने हुए हैं। जानकारी के अनुसार त्रिवेणी नहर के जुड़ा ढाला पर दर्जनों दुकानें बनी हैं। तो आगे इसी नहर पर रामनगर में सिंचाई अधिकारी के आवास तक का अतिक्रमण किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर इस नहर से निकली उपवितरणियों पर भी अतिक्रमणकारियों का गिद्ध दृष्टि बनी हुई है। इनके बांधों पर ग्रामीणों द्वारा खर, खरई, उपले, सहित गोबर को रखा जा रहा है।
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