दो सप्ताह पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने भाषण में कहा था कि परमाणु समझौते में कमी है और उससे निकलने की धमकी देने के साथ उसमें सुधार व उसे पूरा करने की मांग की थी। अमेरिकी समाचार पत्र वाशिंग्टन पोस्ट ने लिखा है कि ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने सीधी बातचीत के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मांग को रद्द कर दिया है।
वाशिंग्टन पोस्ट ने शुक्रवार की सुबह लिखा कि अमेरिकी सरकार ने सितंबर महीने में राष्ट्रसंघ की महासभा के वार्षिक अधिवेशन के अवसर पर फ्रांस के राष्ट्रपति से मांग की थी कि वह अमेरिका और ईरान के राष्ट्राध्यक्षों के मध्य सीधी वार्ता करा दें। इस समाचार पत्र के अनुसार जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने राष्ट्रसंघ की महासभा के वार्षिक अधिवेशन में ईरान विरोधी भाषण दिया तो उसके बाद ट्रम्प की सरकार ने फ्रांस के राष्ट्रपति से ईरान के राष्ट्रपति से वार्ता कराने की मांग की।
इस रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के विदेशमंत्री रेक्स टिलरसन वह व्यक्ति थे जिसने ट्रम्प सरकार की मांग को फ्रांस के राष्ट्रपति तक पहुंचाया था। वाशिंग्टन पोस्ट ने लिखा कि ट्रम्प सरकार का एक वरिष्ठ अधिकारी कहता है कि ईरानियों ने इस मांग को रद्द कर दिया। इस वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने स्पष्ट किया कि टिलरसन की मांग से पहले ट्रम्प ने फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रोन के साथ द्विपक्षीय भेंट में ईरान के राष्ट्रपति से वार्ता में मध्यस्थ बनने का सुझाव पेश किया था।
इसी बीच अमेरिका की पूर्व विदेशमंत्री हिलैरी क्लिंटन ने कहा है कि परमाणु समझौते के बारे में अमेरिकी सरकार का अतार्किक रवइया हमारे लिए बहुत कष्टायक है। ज्ञात रहे कि दो सप्ताह पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने भाषण में कहा था कि परमाणु समझौते में कमी है और उससे निकलने की धमकी देने के साथ उसमें सुधार व उसे पूरा करने की मांग की थी। ट्रम्प के उस भाषण को परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों के अलावा स्वयं अमेरिका में और विस्तृत पैमाने पर विश्व समुदाय, बहुत से अधिकारियों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया का सामना हुआ। ईरान और परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले दूसरे पक्षों ने इस समझौते में हर प्रकार के परिवर्तन को रद्द कर दिया है। अमेरिकी कांग्रेस में डेमोक्रेट सांसदों ने भी परमाणु समझौते में हर नई शर्त लगाने का विरोध किया है।
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