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मुलायम सिंह यादव के समधी के गैर जमानती वारण्ट व कुर्की के आदेश को चुनौती, दो जनवरी को कोर्ट में पेश होने का मिला समय

मो आफ़ताब फ़ारूक़ी
इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के समधी फिरोजाबाद, सरिसागंज से सपा विधायक हरिओम यादव व इनके पुत्र पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत विजय प्रताप को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने इन्हें दो जनवरी 2018 तक ट्रायल कोर्ट में पेश होने का समय देते हुए कहा है कि तब तक इनके खिलाफ अपर सत्र न्यायाधीश द्वारा जारी गैर जमानती वारण्ट व कुर्की आदेश के तहत कोई उत्पीड़नात्मक कार्यवाही न की जाय।
      यह आदेश न्यायमूर्ति यशवन्त वर्मा ने विधायक हरिओम यादव व अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका में अपर सत्र न्यायाधीश के 15 नवम्बर 2017 को जारी गैर जमानती वारण्ट व कुर्की आदेश की वैधता को चुनौती दी गयी थी। याचिका पर अधिवक्ता शिवम यादव का कहना था कि घर में घुस कर हत्या के प्रयास के आरोप में ग्राम भण्डारी के रमेश चन्द्र के भतीजे ने शिकोहाबाद थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी। पुलिस विवेचना के दौरान 18 जनवरी 2016 के विजय पाल के खिलाफ जानलेवा हमला करने का आरोप पत्र दाखिल किया। अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत में मुकदमे के विचारण के समय गवाहों के बयान के आधार पर याचियों को सम्मन जारी किया गया। इसे पुनरीक्षण याचिका में चुनौती दी गयी। न्यायालय से सम्मन आदेश पर रोक से इंकार के बाद विचारण न्यायालय ने 15 नवम्बर 17 को गैर जमानती वारण्ट के साथ कुर्की आदेश जारी किया। जिसे इस याचिका में चुनौती दी गयी थी। याची का कहना था कि राजनीतिक विद्वेष से फंसाया जा रहा है। आदेश पारित करने में प्रक्रियात्मक खामी है। एक ही दिन वारण्ट व कुर्की आदेश जारी करना गलत है। इस पर कोर्ट ने दो जनवरी तक उत्पीड़न पर रोक लगाते हुए याचियों को कोर्ट में पेश होने का समय दिया है।
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