कार्तिक पूर्णिमा पर पटना में गंगा घाटों पर उत्सवी नजारा रहा। लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा ने आस्था की डुबकी लगायी। वहीं शाम में गंगा घाटों पर देव दीपावली पर दीये जलाए गए। गंगा सेवा दल समन्वय समिति की ओर से पटना के गुरुगोविंद सिंह घाट पर देव-दीपावली का भव्य आयोजन किया गया। समिति अध्यक्ष डॉ. राजीव गंगौल ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन नदियों में जो दीप दान किया जाता है वह दीप देवताओं के उत्सव के होते हैं। उन्हें ही यह दीप समर्पित होता है। मौके पर हजारों दीपों की लड़ियों से गंगा तट को भव्य तरीके से सजाया गया था। देवताओं की विशेष पूजा अर्चना के बाद श्रद्धालुओं ने गंगा की धारा में जलता दीप विसर्जित कर अपनी मन्नतें मांगी। अंत में आचार्य मधुसूदन मिश्र द्वारा मां गंगा की महाआरती की गई।
राजधानी सहित पूरे प्रदेश में शनिवार को कार्तिक पूर्णिमा की धूमधाम रही। लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा सहित सहित अन्य प्रमुख नदियों में आस्था की डुबकी लगायी। गंगास्नान के साथ ही गरीबों में दान-पुण्य भी किया गया। श्रद्धालुओं के महती तादाद में गंगा स्नान के लिए पहुंचने के चलते शहर में उत्सवी नजारा रहा। खासकर गंगा किनारे के इलाकों में।
गंगा किनारे दानापुर से पटनासिटी तक की स़ड़कों पर ग्रामीण मेले जैसा नजारा रहा। पटना से हजारों श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए सोनपुर भी पहुंचे। वहां गंडक में स्नान के साथ ही महादेव की पूजा-अर्चना की। दरअसल सनातम धर्म में कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान और दान अति श्रेष्ठ माना जाता है।
सूर्योदय से पहले ही लगने लगे गंगा में आस्था की डुबकी : राजधानी सहित पूरे प्रदेश में शनिवार की अहले सुबह से ही गंगा और अन्य प्रमुख नदियों में स्नान के लिए आस्था का जनसैलाब उमड़ने लगा। पटना में गंगास्नान के लिए आसपास के ग्रामीण इलाकों से हजारों-हजारों की तादाद में श्रद्धालु स्त्री-पुरुष पहुंचे थे।
गंगास्नान के लिए शुक्रवार की शाम से ही लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। शनिवार की सुबह सूर्योदय से पहले ब्रह्ममुहूर्त से ही श्रद्धालु हर-हर गंगे, जय गंगा मैया, हर हर महादेव के जयकारे के साथ गंगा में डुबकी लगाने लगे। खुद के साथ परिजनों के लिए भी माताओं और बहनों ने गंगा में आस्था की डुबकी लगायी।
शहर के कालीमंदिर दरभंगा हाऊस घाट, कदमघाट, कलेक्ट्रेट, बांसघाट, गांधी घाट, भद्रघाट, दीघा83घाट, दीघा92 घाट, कुर्जी घाट, महेन्द्रू सहित अन्य प्रमुख घाटों पर सुबह से दोपहर बाद तक गंगास्नान के लिए भीड़ लगी रही। गंगास्नान के बाद श्रद्धालुओं ने गरीबों में चावल, दाल,नमक, गुड़, खीर, वस्त्र, चंदन, फूल, दही, गाय घी, दूध, मिश्री, फल, कंबल, काला तिल, काला कपड़ा, लोहा-स्टील, जूता, छाता व तेल आदि का दान किया।
गंगा किनारे ग्रामीण मेला से उत्सवी नजारा : श्रद्धालुओं खासकर महिलाओं ने गंगा स्नान-ध्यान के बाद गंगा किनारे लगे ग्रामीण मेले में जमकर खरीदारी की। इस मेले में गांवों के मेले में मिलने वाले सारे सामान बिक रहे थे। खासकर चूड़ी, बिंदी, अलता, फीता, क्लीप, क्रीम, पाउडर आदि। मेले में चावल, मुरही, गुड़ आदि के लाई की भी काफी बिक्री हुई। कार्तिक पूर्णिमा पर लाई खाने की परंपरा है। गुड़हा जलेबी के भी स्वाद चखे गए।
कार्तिक गंगास्नान से सालभर के पूर्णिमा स्नान का मिलता है फल : इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर ग्रह-गोचरों का खास संयोग बनने से श्रद्धालुओं में अधिक उत्साह देखने को मिला। कार्तिक पूर्णिमा पर इस बार राजलक्षण योग, रसकेशरी योग, गजकेशरी, आनंद और महापद्म योग का संयोग बना जो अति फलदायी बतायी जाती है।
ज्योतिषी मार्कण्डेय शारदेय के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर गंगास्नान और भगवान हरि व शिव की पूजा करने से पूर्व जन्म के साथ इस जन्म के भी सारे पाप नाश हो जाते हैं। साथ ही गंगा स्नान या अन्य नदियों में स्नान से सालभर के गंगास्नान और पूर्णिमा स्नान का फल मिलता है। भगवान श्रीहरि ने कार्तिक पूर्णिमा पर ही मत्स्य अवतार लेकर सृष्टि की फिर से रचना की थी। भगवान श्रीकृष्ण ने इसी तिथि पर रास रचायी थी। वहीं सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्म भी इसी तिथि को हुआ था। बनारस में कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली मनायी जाती है।
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