घोसी(मऊ)।। तमाम मोहब्बतों दुआओं, चाहतों, हौसलों और विरोधों मे तपकर आज ये घोसी का बच्चा (सलमान खान) से (सलमान घोसवी) बन चुका है। आज उसके स्टारडम का आलम ये है कि शोहरतों के मामले मे ये किसी फिल्मी सितारे से कम नही है, चाहने वालों का जो हुजूम सलमान के साथ दिखाई देता है। घोसी वालों की मोहब्बत और दुवाओ से आज सलमान घोसवी एक राष्ट्रीय शायर बन चुके है। वो शायद ही फिल्मी सितारों के अलावा किसी और के पीछे दिखाई देता हो, दीवानगी ऐसी की उसकी सल्तनत का दायरा मोबाईल की स्क्रीन और सोशल मीडिया की DP तक पहुँच चुका है, और ये दायरा दिन ब दिन सारी सीमाओं, रिकार्डों और सरहदों की दीवार तोड़ते हुए बढ़ता ही जा रहा है और ये कहाँ जाकर थमेगा इसका अंदाज़ा लगाना नामुमकिन है।
चाहतों और मोहब्बतों का कारवां साथ लिए, बुजुर्गों का साया, माओं की दुआयें साथ लिए। आवाम की आवाज और मजलूम का दर्द साथ लिए, वो निकल चुका एक ऐसे सफर पर जिसकी मंजिल का पता शायद किसी को नही। सफर दर सफर, कामयाबी दर कामयाबी, रिकॉर्ड दर रिकॉर्ड एक अलग सी शख्सियत का मालिक जिसकी आवाज़ के जादू ने महज कुछ सालों मे ही उसे लाखों चाहने वालो की मोहब्बतों से मालामाल कर दिया। दीवानगी का जादू ऐसा चला की क्या बच्चे और क्या बुज़ुर्ग, क्या आम और क्या खास, पार्षदों से लेकर सांसदों तक, विधायकों से लेकर मंत्रियों तक चाहने वालों की एक ऐतिहासिक फेहरिस्त जो शायद ही दुनियाँ मे इतनी कम उम्र मे किसी शायर को नसीब हुई हो। घोसी के एक छोटे से परिवार से है । 5 साल के सलमान जब रहे तभी बाप का साया सर से उठ गया। सर पर घर की जिम्मेदारी का बोझ था अपने सपनो को हकीकत मे बदलने का जुनून था, और दुनियाँ मे अपनी अलग पहचान बनाने की तमन्ना थी।
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