उन्नाव-चकलवंशी।जाको राखे साइंया मार सके न कोय कुछ यही हाल रहा कलियुगी मां का जिसने नवजात शिशु को जन्म तो दिया लेकिन पालन हार के रूप में नहीं अपितु पूतना के रूप में नन्ही सी जान को मरने के लिए बोरी में बन्द कर झाडियों में फेक दिया सुबह शौच के लिए गयी बुजुर्ग महिला की नजर उस बोरी पर पडी तो उसने उत्सुकता वश खोल कर देखा तो नवजात शिशु अचेत पडा हुआ था वह उसे उठा कर घर लायी और पडोस की निसतांन दम्पति को सौप दिया जिसको पाकर उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा उसने डाक्टर के पास जाकर दिखाया और अपना लिया
माँखी थाना क्षेत्र के कस्बा चकलवँशी की निवासी बुजुर्ग महिला बिददा पत्नी सुखदेव सुबह शौच के लिए खेतों की ओर गयी थी तभी उसकी निगाह एक प्लास्टिक की बोरी पर पडी जो कि कीचड में पडी हुई थी उसने बोरी खोली तो उसके अंदर ईटा रखे हुए थे फिर झोला था झोला खोला तो उसमें एक नवजात बालक बेसुध पडा था वह उसे घर उठा लायी और पडोसी नीतू पत्नी लक्ष्मी शंकर उर्फ लाला को सौंप दिया नीतू ने बताया कि उसकी शादी को बारह साल हो गए हैं लेकिन कोई औलाद नहीं है पति विदेश में नौकरी करते हैं उसने भगवान का प्रसाद मानकर बच्चे को अपना लिया है घर पर खुशी का माहौल है वह बच्चे को टीका लगवाने के लिए जिला अस्पताल गई डॉक्टरों ने उसको स्वस्थ बताया
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