बिहार में नक्सलियों ने एक बार फिर अपनी ताकत का इज़हार किया है और सरकार को लगभग खुली चुनौती दे डाली है. कुल 5 रेल कर्मियों को उठा ले जाने वाले नक्सलियों के तांडव का मधुसुदन स्टेशन गवाही दे रहा है अपनी बर्बादी के बाद. नक्सलियों का कहर कुछ इस तरह से अंदाज़ लगाया जा सकता है कि नक्सली पूरी एक ट्रेन गया-जमालपुर पैसेंजर ट्रेन लेते गये थे, इसमें सबसे बड़ी बात यह रही कि रात को लगभग 3 घंटे तक किसी आला अधिकारी के पास यह सुचना नहीं थी कि आखिर ट्रेन है कहा पर. आप समझ सकते है कि किस प्रकार का ये हाईजैक रहा होगा या फिर इसको नक्सली तांडव और स्थानीय प्रशासन की हिला हवाली का नाम भी दिया जा सकता है. स्थानीय प्रशासन घंटो चले इस तांडव में कहा था किसी के पास इसका जवाब नहीं है. अब कोई ऐसा भी उभर कर सामने नहीं आ रहा है जो 2013 की तरह कह सके कि रोज़ आतंकी हमला और नक्सली हमला सुन कर मन करता है कि चुडिया भेज दू.
ज्ञातव्य हो कि भागलपुर में मंगलवार रात नक्सलियों ने एक बड़ा हमला किया। बिहार और झारखंड में बंदी शुरू होने के साथ ही नक्सलियों का तांडव शुरू हो गया। जमालपुर-किऊल रेलखंड के मधुसूदन स्टेशन पर हमला किया और 5 रेलकर्मियों को अगवा कर लिया। स्टेशन मास्टर और पोर्टर, गया-जमालपुर पैसेंजर ट्रेन के चालक, सहायक चालक और गार्ड को अगवा कर सिग्नलिंग पैनल फूंक दिया। घटना के बाद से भागलपुर-किऊल रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन ठप हो गया है। नक्सलियों ने धमकी दी है कि आज पूरे दिन रेल परिचालन अगर बंद रहा तो पोर्टर को छोड़ दिया जाएगा।
दहशत भरी रही सुबह
सुबह दो ट्रेनें गुजारी गई थी, लेकिन उसके बाद नक्सलियों ने लखीसराय डीएम के मोबाइल पर धमकी भरा मैसेज भेजा। साथ ही मालदा डीआरएम मोहित सिन्हा को भी फोन पर धमकी दी कि यदि परिचालन चालू कराया तो एएसएम और पोर्टर की हत्या कर देंगे। इसके बाद से परिचालन रोक दिया गया है।
इधर जमालपुर रेल एसपी शंकर झा, आरपीएफ कमांडेंट, लखीसराय एएसपी अभियान पीके उपाध्याय, एसडीपीओ पंकज कुमार मौके पर पहुंच कर रणनीति बना रहे हैं। पटना की ओर से भागलपुर से आगे जाने वाली लंबी दूरी की ट्रेनों को जमालपुर की बजाय झाझा होकर मेनलाइन से निकाला जा रहा है। वहीं भागलपुर से आनंद विहार जाने वाली विक्रमशिला एक्सप्रेस जमालपुर से वाया मुंगेर-खगड़िया-बरौनी-पटना होते हुए जाएगी।
नक्सली तांडव: बिहार-झारखंड में रेलवे पर हुए कई बड़े हमले
घटना रात लगभग 12 बजे की बतायी जा रही है। उस वक्त गया- जमालपुर सवारी गाड़ी किऊल से जमालपुर की ओर आ रही थी। अभयपुर स्टेशन से यह ट्रेन 11.22 बजे रात में खुली लेकिन रात के दो बजे तक ट्रेन कहां खड़ी थी और किस स्थिति में थी, इसका कोई पता नहीं चल पा रहा था। घटना की सूचना मिलने के बाद जमालपुर के स्टेशन अधीक्षक सुधीर कुमार, आरपीएफ इंस्पेक्टर परवेज खान, जीआरपी थानाध्यक्ष कृपासागर एवं टीआई दिलीप कुमार सभी जमालपुर स्टेशन पर कैंप कर रहे हैं। बड़ी संख्या में जमालपुर स्टेशन पर पुलिस बलों को इकट्ठा किया जा रहा है।
बड़ा सवाल :
यहाँ एक बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि नक्सलियों की धमकियों को किस तरह प्रशासन और रेल मंत्रालय ने हलके में ले लिया था, क्यों नहीं उसकी पहले से तैयारी किया था और क्यों नहीं पहले से ही सुरक्षा कड़ी किया गया था. 3 घंटे का समय बहुत होता है, एक ट्रेन जिसका 3 घंटे तक लोकेशन नहीं मिल पाया उसको किस पद्धति के तहत तलाश करने का प्रयास किया गया जो इतना बड़ा नक्सली तांडव होने के बाद प्रशासन जागा. मधुसुदन स्टेशन की दरो दीवार इस बात को रोते हुवे कहने में शायद सक्षम है कि इतना तांडव तो लगभग काफी देर चला होगा. इतनी देर तक स्थानीय प्रशासन क्या कर रहा था. मौके पर मधुसुदन स्टेशन पर तैनात सुरक्षा कर्मी क्या कर रहे थे. आखिर कहा थी जिले के कप्तान और पुलिस के आला अधिकारी. आखिर कहा था रेल प्रशासन जिसको लगभग 3 घंटे तक एक सवारी गाडी का लोकेशन नहीं मिल रहा था और वह हाथ पर हाथ धरे बैठा था.
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