क्या करेगे साहेब इंसानियत की बात करके. अगर मानवता और इंसानियत की बात करेगे तो एक लावारिस लाश को कफ़न देना पड़ जायेगा. अगर इंसानियत की बात करे तो फिर एक लावारिस लाश जिसका कोई पुरसाहाल न हो उसका नियमो के अनुसार अंतिम संस्कार करना पड़ जायेगा. क्या करेगे ऐसे मानवता की बात करके जिसमे सरकारी कोष से आने वाला पैसा न बचाया जा सके. अरे क्या होगा अधिक से अधिक लोग जो जान जायेगे वह कहेगे कि कफ़न का पैसा खा गया. कहने दो कफ़न का ही तो खाया. अब लाश तो आपत्ति करेगी नहीं और इसका तो पहले ही कोई पुरसाहाल नहीं है तो परिजनों के आपत्ति की बात कहा से पैदा होती है.
शायद बिहार के सुशासन बाबु के राज में स्वास्थ विभाग भी यही सोच बैठा होगा तभी तो एक अज्ञात लाश को कफ़न तक नसीब नहीं हुआ और अंतिम संस्कार भी ऐसा कि कौन ज़हमत उठाये. बस लाश को घसीटा, ठेले पर लादा, 22 किलोमीटर के बाद नदी में फेक दिया. वो तो पता नहीं कहा से किसी ने इसकी फोटो खीच लिया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. वरना किसी को पता भी नहीं चलता.
जी हां बिहार के स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का मामला लगातार सामने आ रहा है। एक बार फिर बिहार के स्वास्थ्य विभाग को शर्मसार करने वाला मामला बेगूसराय जिले में प्रकाश में आया है जहां से सदर अस्पताल में एक अज्ञात व्यक्ति की मौत के बाद उसे अंतिम संस्कार करने के लिए भेजा गया था पर अंतिम संस्कार करने के बजाए उसकी लाश को गंगा में बहा दिया गया। जब लाश को गंगा में बहाया जा रहा था तभी किसी ने इसकी तस्वीर कैमरे में कैद कर ली और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। तस्वीर वायरल होने के बाद एक बार फिर से बिहार के स्वास्थ विभाग पर कई तरह के सवाल खड़े हो गए।
मिली जानकारी के अनुसार मामला बिहार के बेगूसराय जिले का है जहां जिले के सदर अस्पताल में एक अज्ञात व्यक्ति की मौत के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था जहां पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार करने के बजाए शव को नदी में फेंक दिया गया।
इसकी तस्वीर वायरल हो गई तस्वीर वायरल होने के बाद अस्पताल प्रशासन से लेकर अंतिम संस्कार के लिए उत्तरदायी स्वयंसेवी संस्था तक सभी सकते में हैं। हालांकि इस मामले में अब तक अस्पताल प्रशासन द्वारा कुछ भी नहीं कहा गया है और मामले की जांच की बात करते हुए दोषियों पर कार्रवाई की बात कही जा रही है। हम समझ सकते है कि दोषियों पर क्या कार्यवाही होगी ? मगर सवाल यह उठता है कि अच्छे दिनों की बात करने वाली भाजपा के साथ में बैठ कर अच्छे दिन बुलाने वाले नितीश सरकार जो सुशासन बाबु के नाम से जाने जाते है के राज में इस लावारिस लाश को कफ़न भी नहीं नसीब हुआ. दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि इस एक लाश का तो चलिये फोटो वायरल हुआ और सोशल मीडिया के ज़रिये लोगो के संज्ञान में भी आ गया. अब क्या कोई गारंटी ले सकता है कि इसके पहले ऐसा कोई केस नहीं हुआ होगा ? सवाल गंभीर है साहेब. इसका जवाब शायद किसी के पास न हो. मगर एक लाश जो पहले से ही लावारिस थी का इस तरह अंतिम संस्कार भर्त्सना के योग्य है.
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