अनिल सिह
रामगढ़ (बलिया) क्षेत्र के रिकनी छपरा निवासी महेन्द्र नाथ मिश्रा 105 वर्ष की शुक़वार की रात्रि 3 बजे भोर मे हिर्दय गति रुकने से मृत्यु हो गयी। वह इस क्षेत्र के साथ साथ लगभग जिले के सबसे बुजुर्ग संत व्यक्तियों मे थे। मिश्र जी इस उम्र में भी बिना चश्मे के रामायण के 100 दोहे एक बैठक मे ऊंची आवाज में अभी तक पढ़ते थे।
25 दिसम्बर को हरेराम ब्रम्चारी के यहा रामायण पढ़ कर आये इसके बाद उस रात्रि उनकी तबीयत खराब हो गई। घर वालो ने बलिया इलाज कराया। आराम होने के बाद वह अपने घर आये लेकिन 29 दिसम्बर की रात्रि मे अचानक हृदय गति रुकने से मिश्र जी की मृत्यु हो गई। जिससे पुरे क्षेत्र मे शोक की लहर दौड़ पड़ी।
शनिवार को क्षेत्रिय लोगो ने उनके अंतिम दर्शन किया। तत पश्चात श्रीनगर गंगा घाट पर उनका अंतिम दाह संस्कार किया गया। मुख्य अग्नि उनके बड़े पुत्र ने दिया। महेन्द्र नाथ मिश्रा पुज्य त्रिकालज्ञ हरेराम ब्रह्मचारी महाराज के बहन के नाती थे। वह अपने पीछे चार पुत्र एवम दर्जनो नात नातिन से भरा परिवार छोड़ गए है । मिश्र जी के जाने से इस क्षेत्र के सन्त समागम समाज की भारी क्षति हुयी है। जिसे पूरा नही किया जा सकता है।
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