बिहार के सुपौल जिले के रहने वाले अधिकारी जितेंद्र झा अचानक घर से लापता हो गए और उनकी लाश रेलवे ट्रैक पर टुकड़ों में मिली। रेलवे ट्रैक पर लाश मिलने के बाद दिल्ली पुलिस ने उसे अपने कब्जे में लेते हुए पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया तो दूसरी तरफ शव की शिनाख्त करने पहुंची उनकी पत्नी ने लाश को पहचानने से इनकार करते हुए कहा कि यह हमारे पति नहीं है। फिर भी पुलिस इसे जितेंद्र झा की लाश समझ कर मामले की जांच करने लगी।
भाई ने उठाए सुसाइड थ्योरी पर सवाल
दूसरी तरफ लाश की शिनाख्त करने पहुंचे जितेंद्र के भाई अमरेंद्र ने दिल्ली पुलिस की जांच पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि हमारे भाई की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई है लेकिन पुलिस इसे सुसाइड बता रही है। क्या पुलिस को मेरे भाई की लाश रेलवे ट्रैक से नग्न अवस्था में पांच टुकड़ों में मिली है ? अगर नहीं तो जब लाश 5 टुकड़ों में थी तो कपडे क्यों नहीं 5 टुकडो में थे, ऐसा कैसे हो सकता है? अगर कोई रेलवे ट्रैक पर आत्महत्या करता है तो उसकी बॉडी के साथ साथ कपड़े भी कट जाते हैं लेकिन जितेंद्र के कपड़े सही-सलामत थे।
11 दिसंबर को हुए थे लापता
बिहार के सुपौल जिले के रहने वाले आईसीएएस अधिकारी जितेंद्र झा की लाश शुक्रवार दिल्ली कैंट रेलवे स्टेशन के पास मिली थी। वह मॉर्निंग वॉक करने के लिए 11 दिसंबर को अपने घर से बाहर निकले थे और वापस नहीं लौटे जिसके बाद उनकी पत्नी और आसपास के लोग उनकी खोज में बाहर निकले लेकिन कहीं भी उनका पता नहीं चला। फिर मामले की जानकारी नजदीकी पुलिस को दी गई और नजदीकी थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद जांच पड़ताल करने के दौरान उनकी लाश रेलवे ट्रैक पर टुकड़ों में मिली। जिसके बाद रेलवे पुलिस के द्वारा उनके परिवार वालों को फोन कर दिया जानकारी दिया गया कि जितेंद्र ने सुसाइड कर लिया है और उसकी लाश दिल्ली के पालम रेलवे ट्रैक से बरामद किया गया है। जीतेंद्र झा 1998 बैच की ऑफिसर थे। वह दिल्ली स्थित मंत्रालय में वे एचआरडी विभाग में पोस्टेड थे।
आईसीएएस की हुई हत्या?
अपने बेटे की सुसाइड की खबर सुनते ही परिवार वाले में कोहराम मच गया और जितेंद्र झा के भाई अमरेंद्र दिल्ली पहुंचे। अपने भाई की लाश देखने के बाद उन्होंने कहा कि मेरे भाई का शव 5 टुकड़ों में मिला था, लेकिन उनके कपड़े सही सलामत थे। शव के टुकड़े हो जाएं और कपड़े सही सलामत रहें, यह कैसे संभव है। रेल पुलिस को मेरे भाई की लाश 11 दिसंबर को मिल गई थी। रेल पुलिस ने इसकी सूचना हमें 14 दिसंबर को दी। रेल पुलिस ने आखिर क्यों पहले हमें इसकी सूचना नहीं दी?अमरेंद्र ने पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि जीतेंद्र की बॉडी पूरी तरह से नग्न मिली थी। जीतेंद्र का कपड़ा 14 दिसंबर को द्वारका पुलिस को मिली। इससे साफ है कि अपहरण करने के बाद जीतेंद्र की हत्या की गई है। दूसरी तरफ उनके परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस के द्वारा अब तक हम लोगों को सुसाइड नोट नहीं दिखाया गया है जबकि एमएचआरडी के अधिकारियों को दिखाया गया। जीतेंद्र झा के परिजनों ने एमएचआरडी के अधिकारियों पर भी हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया है। उनका कहना था कि उनकी हत्या में कुछ ठेकेदार भी शामिल हो सकते हैं इसलिए इस पूरे मामले को फिर से जांच होनी चाहिए।
मां और पत्नी मानने को तैयार नहीं कि जितेंद्र नहीं रहे
दूसरी तरफ जितेंद्र की लाश मिलने के बाद उनकी पत्नी और मां दोनों सदमे में आ गई है और वह मानने के लिए तैयार नहीं है कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा। आपको बताते चलें कि जितेंद्र का जन्म बिहार के सुपौल जिले में एक गरीब परिवार में हुआ था और गरीबी से निकलते हुए उन्होंने अपनी लगन और कठिन परिश्रम के बल पर वह आईसीएएस ऑफिसर बने थे। उन्हें अपने परिवार के साथ साथ पूरे गांव वाले से लगाव था और लोग उन्हें होनहार के तौर पर देखते थे लेकिन उनकी हत्या की खबर सुनने के बाद पूरे गांव में मातमी माहौल कायम है।
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