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भारतीय रानी को मात देने के लिए चीन बिछा रहा नेपाल और श्रीलंका में करोबारी बिसात

प्रदीप चौधरी

विदेश निति क्या कहती है इसका अंदाज़ तो शायद सियासत में बैठे लोग ही लगा सके मगर भारत के दृष्टिकोण से एक बुरी खबर हो सकती है कि चीन नेपाल में अपने कारोबारी घुसपैठ को मजबूत कर चूका है जिसके तहत नेपाल के तीन बडे होटल, दो बडी जल विधुत परियोजना, रसुवा बोर्डेर  पर तीन पुल और सडके और भैरहवा एयरपोट की कामो को चीन की कम्पनी को नेपाल सरकार ने दिया है।

नेपाल के बाद श्रीलंका पर ड्रैगन की नजर

यही नहीं नेपाल के बाद अब चीन की कारोबारी गिद्ध दृष्टि श्रीलंका की तरफ घूम गई हैं। श्रीलंका सरकार ने हम्बनटोटा बंदरगाह के संचालन का कार्य ऐसी दो कंपनियों को सौंप दिया है, जिनमें चीन की बड़ी हिस्सेदारी है। श्रीलंका की संसद में हुए एक समारोह में सरकार ने 29 करोड 40 लाख डॉलर की राशि प्रारंभिक तौर पर प्राप्त की है। यह राशि एक अरब 12 करोड डॉलर की तीस प्रतिशत है। इसके साथ ही हम्बनटोटा इंटरनेशनल पोर्ट ग्रुप और हम्बनटोटा इंटरनेशनल पोर्ट सर्विसेज ने देश के दक्षिण में बंदरगाह के कार्य शुरू कर दिए हैं। हिंद महासागर में यह स्थान सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत नेपाल का सोनौली बॉर्डर अति सम्वेदनशील हो गया है। लुम्बनी मे भेष बदल कर रह रहे चीनी सैनिको का मोमेन्ट सोनौली होने की संभावना बनी हुई है. इस दृष्टि से यह भारतीय सुरक्षा पर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है

ज्ञातव्य हो कि श्रीलंका और नेपाल भारत के मित्र राष्ट्रों में है। अब अचानक पैदा हुवे नये हालात में नेपाल और श्रीलंका में ड्रेगन का बढ़ता वर्चास्व और दखल भारत के लिये एक बड़े खतरे को इशारा करता है जिसकी वजह से भविष्य में भारत को दो चार होना पड़ सकता है.

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