संजय ठाकुर.
मऊ : जनपद के ब्लाक रानीपुर विकास कार्यों के धन की लूट-खसोट में हमेशा चर्चा में बना रहता है। इस ब्लाक की ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना में बिना स्टीमेट तैयार किए व एमबी कराए कई करोड़ रुपये उतार लिए गए। ग्राम प्रधान व सचिव की मिलीभगत के खेल में ब्लाक कार्यालय भी सहयोगी बना। दिन-रात ब्लाक पर ऐसे फर्जी कार्यों की फीडिग कराई गई। लगभग दो दर्जन ग्राम पंचायतो में उतारे गए मनरेगा के इस धन को आपस में मिलकर कर्मियो ने बांट लिया।
इतना ही नहीं तकनीकी सहायक को इसका पता तक नहीं चला और करोड़ों रुपये का खेल हो गया। ब्लाक के नामचीन माननीय के क्षेत्र पर कार्यालय की जमकर रहमत बरसी। प्रतिवर्ष जमकर घोटाला का खेल खेला गया। पंचायत चुनाव के समय गांवों में तैनात प्रशासक द्वारा विकास खंड में किए गए 54 लाख के गबन की आंच अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि विकास खंड के अधिकांश गांव में मनरेगा योजना में मैटेरियल के नाम पर करोड़ों रुपए का प्रधान और सचिव आपस में मिलकर वारा-न्यारा कर दिए। अक्सर विभागीय अधिकारियों द्वारा दलील दी जाती है कि मनरेगा में पक्के काम का भुगतान खुला ही नहीं है। लेकिन सच्चाई यह है कि रानीपुर ब्लाक में करोड़ों रुपये मैटेरियल के नाम पर बिना स्टीमेट और एमबी कराए ही भुगतान किया गया। सच्चाई यह है कि किसी ग्रामसभा में कोई कार्य नहीं हुआ है।
कहीं-कहीं तो एक ओर मैटेरियल मद का पैसा भुगतान तो करा लिया गया लेकिन मजदूर व मिस्त्री का भुगतान नहीं हुआ। अगर विभागीय जांच कराया जाए तो दर्जनों ग्राम विकास अधिकारी और प्रधान जांच के घेरे में आएंगे। कुछ कार्यों की जांच भी हुई परंतु अधिकारियों की लीपापोती से वह प्रशासन का पैसा हो या मनरेगा के मैटेरियल के पैसे की लीपापोती होती है।
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