इलाहाबाद । अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने त्रिकाल भवंता के खिलाफ मनमाने तरीके से शंकराचार्य बनने और अखाड़ा बनाने के आरोप में कार्रवाई की है। परिषद के अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरि का कहना है कि आज तक त्रिकाल भवंता ने यह नहीं बताया कि कौन उनका गुरु है, किससे उन्होंने दीक्षा ली है। नरेंद्र गिरि कहते हैं कि कुल 13 अखाड़े ही हैं। नियमानुसार इससे ज्यादा नहीं बनाए जा सकते हैं। इन्हीं अखाड़ों में महिला और पुरुष दोनों संत हैं। महिलाओं का अखाड़ों में सम्मान है। कई महिला संत अपने अखाड़ों में महामंडलेश्वर तक हैं।
नरेंद्र गिरि को अधिकार नहीं : भवंता
त्रिकाल भवंता का कहना है कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि को किसने यह अधिकार दे दिया है कि वह किसी को फर्जी संत घोषित कर दें। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार ने उन्हें यह अधिकार दिया है अथवा उनके पास कोई थर्मामीटर है। यदि थर्मामीटर है तो वह नाप लें कि उनमें संतों के गुण ज्यादा हैं अथवा हममें। वह अपने गिरेबां में झांके, अपने अतीत को देखें। वह खुद के संत होने का प्रमाण दें। सच्चिदानंद को उन्होंने ही महामंडलेश्वर बनाया था लेकिन असलियत सामने आने के बाद उन्हें ही हटाना पड़ा। त्रिकाल भवंता ने सभी अखाड़ों व उनके पदाधिकारियों की जांच कराए जाने की मांग भी सरकार से की है।
दूसरी महिला संत पर कार्रवाई
अखाड़ा परिषद ने दूसरी बार किसी महिला संत को फर्जी बाबाओं की सूची में शामिल किया है। इससे पहले राधे मां को फर्जी बताया था। इलाहाबाद की त्रिकाल भवंता खुद को देश के पहले कथित महिला अखाड़े, परी अखाड़े की आचार्य पीठाश्वर बताती हैं। वह उज्जैन के सिंहस्थ कुंभ से चर्चा में आई थीं। अखाड़ों के लिए मान्य सुविधाएं देने की मांग को लेकर वह समाधि लेने लगीं। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। ध्वजारोहण समारोह में त्रिकाल भवंता ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने अपनी बात रखनी चाही थी, मगर वहां परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत ज्ञानदास ने उनके हाथ से माइक छीन लिया। हालांकि मेला प्रशासन ने त्रिकाल भवंता को साधुग्राम में जगह तथा अन्य सुविधाएं मुहैया कराईं।
लड़ चुकी चुनाव भी
लगभग 50 वर्षीय त्रिकाल भवंता उर्फ अनीता शर्मा के बारे में कहा जाता है कि वह आयुर्वेदिक औषधियों की जानकार हैं। कुछ समय पहले तक मुसलमान महिलाओं के लिए भारतीय राष्ट्रीय विकास परिषद नामक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) भी चलाती थीं। वर्ष 2001 में उन्होंने इलाहाबाद शहर दक्षिणी से विधानसभा का चुनाव लड़ा था। वर्ष 2013 के इलाहाबाद कुंभ में उन्होंने परी अखाड़े की स्थापना की और उसकी पहली महिला शंकराचार्य होने का दावा किया। समर्थकों के बीच वह जगदगुरु शंकराचार्य त्रिकाल भवंता सरस्वती जी महाराज के रूप में विख्यात हैं।
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