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आंखें मूंदे रहे अफसर, बस गए अवैध मुहल्ले

कनिष्क गुप्ता.

इलाहाबाद : कहने को शहर के नियोजित विकास में मददगार के रूप में इलाहाबाद विकास प्राधिकरण (एडीए) जैसी सरकारी संस्था है, लेकिन शहर का शायद ही कोई ऐसा हिस्सा होगा, जहां नियोजित तरीके से विकास हुआ हो। जिला प्रशासन और एडीए अफसरों के आंखें मूंदे रहने से कई अवैध मुहल्ले 20-25 वर्षो के दौरान बस गए। ये मुहल्ले भी ऐसी जगह बसे हैं, जहां हाईकोर्ट द्वारा पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जा चुका है। दिलचस्प बात ये है कि यह मुहल्ले स्टेट लैंड और राजकीय आस्थान की भूमि पर बसे हैं। जिसकी खरीद-फरोख्त वैधानिक तरीके से हो ही नहीं सकती है। जाहिर है कि संबंधित विभागों की मिलीभगत से भूमाफिया ने जमीनें बेच दी।

शहर उत्तरी विधानसभा क्षेत्र में आने वाले छोटा बघाड़ा, ढरहरिया, सलोरी में कैलाशपुरी, गोविंदपुर के कछार में अवैध मुहल्ले बस गए। छोटा बघाड़ा, ढरहरिया मुहल्लों का ज्यादा हिस्सा स्टेट लैंड पर बसा है। जो जमीन भूमिधरी है, उच्चतम बाढ़ स्तर (एचएफएल) में होने के कारण उस पर भी निर्माण प्रतिबंधित है। फिर भी इन मुहल्लों में करीब सात-आठ हजार अवैध निर्माण हो गए हैं और नियमित निर्माण हो भी रहे हैं। कैलाशपुरी राजकीय आस्थान की जमीन पर बस गया है। जबकि गोविंदपुर का कछारी क्षेत्र फ्रीहोल्ड है। ये ऐसे मुहल्ले हैं, जहां बारिश में बाढ़ के दौरान सात-आठ फीट से ज्यादा पानी भर जाता है। फिर भी एक अदद आवास की जरूरत ने लाखों की आबादी को गंगा की पेटा में बसने के लिए मजबूर कर दिया। इसकी एक वजह प्राधिकरण द्वारा जरूरतमंदों को उनकी पहुंच के अंदर मकान उपलब्ध न करा पाना भी है।

भारी-भरकर स्टॉफ फिर भी अवैध निर्माणों पर नियंत्रण नहीं: प्राधिकरण में अवैध निर्माणों को रोकने के लिए भारी-भरकर स्टॉफ (जिसमें जेई, भवन निरीक्षक आदि शामिल) है। फिर भी अवैध निर्माणों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
महंगी बिक रही जमीन:

छोटा बघाड़ा में 15-20 हजार रुपये प्रति वर्गमीटर जमीन बिक रही है। ये विभाग भी कम दोषी नहीं: एडीए के अफसर अवैध निर्माणों पर अंकुश नहीं लगा सके, लेकिन नगर निगम, जलकल विभाग, विद्युत विभाग, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई भी इसके लिए कम दोषी नहीं हैं। निगम द्वारा मकान नंबर जारी करने के साथ ही सड़क, नाली-नालों, खड़ंजों का निर्माण कराया गया। हालांकि, कुछ जगह ऐसे भी हैं, जहां सड़कें नहीं हैं, जलनिकासी की व्यवस्था भी नहीं है, फिर भी लोगों को अपना घर होने का संतोष है। वहीं, विद्युत विभाग द्वारा बिजली, इकाई द्वारा सीवरेज और जलकल द्वारा पानी की व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराई गई हैं।

बोले लोग
बाढ़ में सात-आठ फीट पानी भर जाता है, पर क्या किया जाए। शहर के अंदर जमीन नहीं है, हर व्यक्ति खरीद भी नहीं सकता। सीसी रोड तोड़ दी गई है। – संतोष मौर्या

बारिश में बाढ़ के कारण छह-सात फीट तक पानी भर जाता है। तब घर छोड़ना पड़ जाता है। सीवर लाइन बिछाने के लिए सड़क तोड़ दी गई, लेकिन बनी नहीं। – राकेश कुमार

शहर में रहने के लिए जगह नहीं है। हमने 2003 में छोटा बघाड़ा में जमीन खरीदी और 2005-06 में बनवाया। सड़क खराब है। बिजली के तार झूल रहे हैं। -राज बहादुर बिंद

बांध बनने की आस में यहां मकान बनवा लिया। अगर बांध बन गया तो बाढ़ से राहत मिल जाएगी। सड़कें खस्ताहाल हैं। नालियां न होने से पानी बहता है। – राम नरेश

इस सम्बन्ध में ADA उपाध्यक्ष भानु चन्द्र गोस्वामी ने हमसे बात करते हुवे कहा कि जो भी अवैध निर्माण हुए हैं, उनके विरुद्ध नोटिसें जारी हुई हैं। ध्वस्तीकरण आदेश भी पारित किए गए हैं। कार्रवाई भी हो रही है। अवैध निर्माणों को रोकने के लिए हर स्तर से प्रभावी पहल हो रही है।

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