अनिल कुमार.
बिहार में लोकसेवकों में सबसे ज्यादा घुसखोर पुलिसवाले हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंन्स’ की नीति के तहत निगरानी ब्यूरो ने बीते साल वर्ष 2017 में 83 मामले दर्ज किये. इनमें करीब 90 लोकसेवकों को घुस लेते रंगेहाथ पकड़ा. इनमें सबसे ज्यादा 21 लोक सेवक पुलिस महकमे के थे. इनमें सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक के पदाधिकारी शामिल हैं. सबसे ज्यादा संख्या दारोगा और जमादार की है. पुलिस पदाधिकारियों के बाद सबसे ज्यादा संख्या राजस्व पदाधिकारियों, बिजली विभाग और आंगनबाड़ी कर्मियों की है. इसके अलावा आय से अधिक संपत्ति (डीए) मामले में 13 पदाधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो चुकी है.
डीए मामले में जिला निबंधन पदाधिकारी से लेकर एडीएम रैंक के पदाधिकारी शामिल हैं. इसके अलावा भ्रष्टाचार से जुड़े अन्य मामलों में 23 वैसे पदाधिकारियों पर भी कार्रवाई हुई है, जो खासतौर से आधारभूत संरचना या इंजीनियरिंग विभागों से जुड़े हुए हैं. विभिन्न सरकारी निर्माण कार्यों में जांच के दौरान सामने आयी व्यापक गड़बड़ी के बाद निगरानी की तरफ से यह कार्रवाई की गयी है. इसमें फंसनेवालों में तकरीबन सभी इंजीनियर या इसके समकक्ष रैंक के पदाधिकारी हैं.
सबसे ज्यादा पटना से दबोचे गये लोकसेवक
ट्रैप के मामले में सबसे ज्यादा भ्रष्ट लोक सेवक पटना जिला से पकड़े गये हैं, इनकी संख्या 11 है. इसके बाद गया एवं वैशाली से आठ, नालंदा से छह, पूर्वी चंपारण एवं मुजफ्फरपुर से पांच, पश्चिम चंपारण से चार और नवादा एवं भोजपुर से तीन अलग-अलग पदों के लोकसेवक रंगेहाथ घुस लेते हुए दबोचे जा चुके हैं. अन्य जिलों से दो या एक की संख्या में लोक सेवक पकड़े गये हैं.
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