इलाहाबाद : ‘सुना था अबकी का माघ मेला 2019 कुंभ का रिहर्सल है। गंगा का जल निर्मल मिलेगा। लेकिन ऐसा कुछ नजर नहीं आया। गंगा का जल तो काला था, पानी भी कम मिला..।’ यह शब्द थे दिल्ली से मौनी अमावस्या का स्नान करने आए रामेश्वर दयाल पाठक के। रामेश्वर ने अक्षयवट घाट पर स्नान किया, गंगा में स्नान करने की उन्हें खुशी तो थी, परंतु व्यवस्था के प्रति खिन्न भी नजर आए। चंद कदम दूरी पर श्वेता सारस्वत खड़ी थीं। गंगा में पानी कम होने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए बोलीं, मुझे मोदी व योगी सरकार से काफी अपेक्षा थी। लगा कि मेला बहुत अच्छा होगा, परंतु वैसा कुछ नजर आया नहीं।
यह चिंता सिर्फ रामेश्वर व श्वेता के ही नहीं वरन मौनी अमावस्या पर दूर-दराज से स्नान करने आए श्रद्धालु भी गंगा की दशा देखकर दंग थे। कुछ घाटों पर तो घुटने भी पानी में ही डुबकी लगानी पड़ रही थी। लोगों को लग रहा था कि जैसे रेत पर डुबकी लग रही हो। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माघ मेला 2018 को कुंभ की तर्ज पर आयोजित करने का दावा किया था। मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद पहली बार वह तीन जून को प्रयाग आए तो दावा किया था कि अक्टूबर माह से प्रयाग में श्रद्धालुओं को शुद्ध जल मिलेगा। माघ मेला के दौरान जल की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। उनका वह दावा मौनी अमावस्या को झूठा साबित होता दिखा। मेला शुरू होने के बाद उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने मेला क्षेत्र का दौरा कर मकर संक्रांति में श्रद्धालुओं को शुद्ध जल देने का वादा किया था, लेकिन उसके अनुरूप काम कुछ नहीं हुआ। महावीर मार्ग, त्रिवेणी मार्ग, मोरी, गंगोली शिवालय हर जगह गंगा में रेत उभरी नजर आई। गंगा में जल बढ़ना तो दूर पहले जो जल था वह भी सूख गया। वहीं प्रवाहित होने वाला जल काला था, जिसे देखकर संतों व श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत नजर आई।
संतों में नाराजगी
आज गंगा की स्थिति वास्तव में खराब है। प्रदेश की बागडोर एक संत के हाथों में है, जिनसे हमें अच्छा करने की उम्मीद है। वह स्थिति सुधार कर शीघ्र बेहतर परिणाम दिखाये – जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती
सूबे की सत्ता बदलने का असर माघ मेला में नजर नहीं आया। गंगा की दशा चिंताजनक है। व्यवस्था के नाम पर बयानबाजी से अधिक कुछ नहीं हुआ, बल्कि दशा और खराब हो गई – स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्माचारी, पीठाधीश्वर टीकरमाफी आश्रम
¨हदूवादी सरकार होने के बावजूद न गंगा शुद्ध हुई न गोकशी रुकी। मैं यही कहूंगा कि सरकार ¨हदुओं की भावनाओं से न खेले, अन्यथा उसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी – देवतीर्थ स्वामी अधोक्षजानंद
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