बिहार. (नवादा) समाज में जब कोई पीड़ित होता है तो उसे पुलिस का सहारा लेना पड़ता है। अपराध हो तो पुलिस, चक्काजाम हो तो पुलिस , अतिक्रमण हटवाना हो तो पुलिस हर छोटी से बड़ी परेशानी में लोग पुलिस को ही याद करते है। जनता के सामने खुद को बोल्ड दिखाने वाले पुलिस कर्मियों के भीतर कितना दर्द है क्या आप उसे जानते है ? हमे उनके दर्द को भी जानना होगा जनता को उन्हें भी समझना होगा। यह सत्य है कि कभी-कभी पुलिसकर्मियों के अमानवीय कृत्य पूरे विभाग को शर्मसार करते है मगर सभी को एक ही चश्मे से देखना भी बेमानी होगी।
अब सवाल यह पैदा होता है कि आखिर इसके लिये जवाबदेही किसकी बनती है. शासन की अथवा स्थानीय प्रशासन की.
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