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खनन माफियाओं का आतंक : यमुना का सीना चीरने मे लगे हैं रात दिन

सरताज खान

लोनी. सभी नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए बालू माफिया यमुना नदी की छाती चीरकर जहां भौगोलिक स्थिति को बिगाड़ते हुए आने वाले कल के लिए गहरा संकट पैदा करने का काम कर रहे हैं। वहीं सरकार को भी लाखों रुपए प्रतिदिन के राजस्व का चूना लगा रहे हैं। आरोप है कि खनन लाइसेंस होने के नाम पर अवैध रूप से हो रहे बालू खनन के उक्त गोरखधंधे के संचालकों को कुछ संबंधित अधिकारियों का भी खुला संरक्षण प्राप्त है। बात लोनी क्षेत्र के पचायरा पॉइंट की करें तो यहां बालू खनन का अवैध कारोबार रात-दिन धड़ल्ले से जारी है। जहां खनन के सभी मनको को एक तरफ रखते हुए निर्धारित गहराई से कई गुना अधिक तक यमुना की कोख को इस कदर खोखला किया जा रहा है कि वहां बने बड़े-बड़े गहरे गड्ढों में ट्रक के ट्रक समा जाए। जिसके लिए खनन माफियाओं द्वारा सभी नियमों को ताक पर रखते हुए वहां अवैध रूप से पोपलेन मशीनों का इस्तेमाल कराया जा रहा है।

ओवरलोड होते हैं बालू लदे वाहन

उपरोक्त के अलावा अन्य नियमों को ठेंगा दिखाते हुए भारी स्तर पर हो रहे उक्त खनन स्थल से सैकड़ों की तादाद में प्रतिदिन बालू लदे वाहन निकलते हैं। जिनमें एक निर्धारित वजन से कहीं अधिक बालू लदा होता है। इन वाहनों में डंपर, ट्रक, ट्रैक्टर ट्रॉली व अन्य वाहन शामिल होते है। जिनके ओवरलोड होने का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्हें मुख्य मार्ग तक पहुंचाने के लिए पोपलेन मशीन की मदद लेनी पड़ती है। अफसोस की बात तो यह है कि बालू से लदे ऐसे वाहनों को रोकने- टोकने वाला भी यहां कोई नहीं होता है।

पुलिस-प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप

कुछ क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि अवैध बालू खनन माफियाओ की पुलिस मिलीभगत इस बात से ही स्पष्ट हो जाती है कि जब कभी पोपलेन मशीन की मदद से रात-दिन हो रहे अवैध बालू खनन के मामले में स्थानीय पुलिस को शिकायत की जाती है तो वह खनन माफियाओं की दबंगता का परिचय देते हुए उनके पचड़े में न पड़ने की बात कहते हुए वह उल्टा शिकायतकर्ता को ही हड़का देती है। और अवैध रूप से लदे बालू के वाहन उनके सामने ही वहां से धड़ल्ले से निकल जाते हैं। जिन्हें मुख्य मार्ग पर भी किसी पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी का किसी प्रकार का कोई डर भय नहीं होता है। जो कभी- कभी अधिक शिकायत मिलने पर इक्का-दुक्का ऐसे वाहनों के विरुद्ध कार्रवाई कर अपने फर्ज की इतिश्री कर लेते हैं। ऐसे में पुलिस-प्रशासन की उक्त कार्यप्रणाली को देख कोई भी यह अंदाजा लगा सकता है कि खनन माफियाओं के साथ उनका क्या और कैसा तालमेल है। और इस तरह अवैध खनन के गोरखधंधे में संलिप्त लोग अपने निजी स्वार्थ के चलते सरकार को भी लाखों रुपए प्रतिदिन का चूना लगाने का काम कर रहे हैं।

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