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खामियों के साथ पलिया में वितरित हो रहा है राशन कार्ड का प्रारूप

फारुख हुसैन

पलिया कलां (खीरी). राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत मिलने वाले खाद्यान्न के लिये पूर्ति  विभाग कोटेदारो और वार्ड प्रतिनिधियों के माध्यम से कार्डो का जो प्रारूप वितरित करवाया जा रहा है उस प्रारूप मे खामियों के अलावा कुछ नजर नही आ रहा है । उस प्रारूप मे भारी मात्रा मे पात्रों के नाम सूची मे होने के बावजूद भी पात्रों को राशन कार्ड का प्रारूप प्राप्त नहीं हो पा रहा है और उन को खाद्यान्न प्राप्त नहीं हो पा रहा है।

जो पात्रों का नाम कई बार आॅनलाइन आॅफलाइन करवाने के बाद भी लिस्ट मे नहीं आया है और जिनका आया है वो भी अब राशन लेते समय अंगूठे के निशान न आ पाने के कारण असमंजस की स्थिति मे है और यह सब देखते हुए सरकार पर खाद्य सुरक्षा कानून को पूर्णतः किर्यान्वित होने पर सवालिया निशान खड़े हो रहे है। पूर्ति विभाग की लापरवाही के कारण पूरी तरह से  खामियाजा पात्र ही भुगत रहे है और जिन पात्रों को  राशनकार्ड मिला वह भी न खुश ही दिखाई दे रहे है उनका कहना है कि वह जिन कार्डो के हकदार है  उन्हे  उनसे भी वंचित किया जा रहा है और देखा जाये तो शासन की ओर से आयी योजना के अनुरूप भी पात्र इधर उधर भटकने को मजबूर ही हैं क्योकि अब जब ले दे के उनके लिस्ट में नाम आया है और वह अब शासन की नयी योजना जिसमे मशीन में अंगूठे का निशान आनू पर ही पात्र को राशन दिया जायेगा और नहीं आने पर उसे नहीं दिया जायेगा।

फिलहाल देखा जाये तो अधिकतर लोगो के अंगूठे के निशान मैच ही नही हो रहें हैं और न ही किसी के राशन कार्ड बन रहें हैं । वहीं कार्ड उपलब्ध न करा पाने के कारण पात्र जनप्रतिनिधि पर और वार्ड प्रतिनिधि पर ही उँगली उठा रहे हैं ।जिसके कारण अब पात्रों के साथ साथ जनप्रतिनिधि और वार्ड प्रतिनिधि  मे भी  रोष व्याप्त है । गैरतलब है कि केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2013 मे अंतर राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा अधिनियम का कानून लागू किया गया था जिससे गरीब पात्रों को राशन कार्ड के माध्यम से सस्ते रेट पर खाद्यान्न उपलब्ध करा सके ।परंतु अभी तक उत्तर प्रदेश मे कानून लागू नहीं किया जा सका ।शासन द्वारा कई बार निर्देश देने के बावजूद वर्ष 2016 मे वह कानून किर्यान्वित हो सका और शासन द्वारा  जिलाधिकारी को कड़े निर्देश देने पर  जिलाधिकारी ने पूर्ति विभाग को उक्त योजना का लाभ देने के लिये जो आॅनलाईन और आॅफलाइन फार्म भरे गये उसमें भी गरीबो का खूब आर्थिक दोहन  हुआ।

शासन द्वारा सख्त निर्देश देने के बाद हरकत में आये पूर्ति विभाग ने आनन फानन कार्डो के प्रारूप जारी कर कोटे दारो को निर्देश तो दे दिये ।परंतु इस कारण लोगों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है और साथ ही शासन की ओर से चलायी गयी योजना कम्यूटराइज मशीन को राशन विक्रेता को दी गयी जिससे एक सरलतम उपाय के तहत और आरामदायक समझी जाये और पात्रों को किसी तरह की परेशानी न हो पर वह योजना भी शासन की फेल होती ही नजर आ रही है कारण बस एक ही कुछ ही प्रतिशत पात्रो के अंगूठे के निशान ही मशीन में आ रहे है और बाकियों के तो आ ही नही रहें है जिसके कारण एक बार फिर जनता को परेशान होना पड़ रहा है और शासन भी अपनी कमियों को छुपाने के लिया एक बार फिर से राशन कार्ड की वही प्रक्रिया दोहराना चाहगी या फिर वापस उसी पुराने ढर्रे पर जायेगी

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