कनिष्क गुप्ता/ आफताब फारुकी
इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अप्रशिक्षित अध्यापकों को प्रशिक्षण देने की माँग में दाखिल उ.प्र. बेसिक शिक्षक संघ की जनहित याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि यदि कोई अध्यापक छूट गया है तो वह व्यक्तिगत कोर्ट में आकर केस कर सकता है। नेशनल इंस्टीटयूट आफ ओपेन स्कूलिंग (एन.आई.ओ.एस.) द्वारा एक लाख 72 हजार से अधिक अध्यापकों को प्रशिक्षण के लिए पंजीकृत कर लिया है। ऐसे में कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोसले तथा न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खंडपीठ ने उ.प्र. बेसिक शिक्षक संघ की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एच.एन. सिंह राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पाण्डेय व भारत सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी ने पक्ष रखा। याची का कहना है कि केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन राज्य सरकार ने नहीं किया है। राज्य सरकार ने सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकांे को प्रशिक्षण देने की सूचना नहीं दी जिससे हजारों अध्यापक एन.आई.ओ.एस. में पंजीकरण कराने से वंचित रह गए हैं।
सरकार का कहना था कि एक लाख 82 हजार अध्यापकों में से एक लाख 72 हजार अध्यापकों से अधिक ने प्रशिक्षण के लिए पंजीकरण करा लिया है। 9 हजार अध्यापकों ने पंजीकरण नहीं कराया है। दूरस्थ शिक्षा योजना के तहत अध्यापकों को 18 माह में प्रशिक्षण दिया जाना है। अब पंजीकरण कराने का समय नहीं बचा है। केंद्र सरकार ने कहा है कि 31मार्च 2019 तक जो अध्यापक प्रशिक्षित नहीं होंगे उन्हें एक अप्रैल से हटा दिया जाएगा।
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