कनिष्क गुप्ता.
इलाहाबाद : उतरांव थाना क्षेत्र में बेखौफ हाईवे लुटेरों ने चालक मुनेश कुमार कुशवाहा की पहले पिटाई की। इसके बाद जब वह चलती ट्रक पर लटक गया तो उस पर फाय¨रग की गई। दौड़ती ट्रक का पीछा लुटेरों ने करीब 15 मिनट किया, लेकिन थाने के करीब पहुंचते ही बदमाश गायब हो गए।
हैरानी की बात यह है कि उतरांव थाना क्षेत्र के बलीपुर गांव से लेकर हंडिया थाने के बीच बदमाश 12 हजार रुपये और मोबाइल लूटने के बाद मारपीट व फाय¨रग कर पीछा करते रहे, लेकिन हाईवे पुलिस कहीं नजर नहीं आई। इतना ही नहीं उतरांव और हंडिया थाने के बीच भी घटना को लेकर किसी तरह का संवाद भी नहीं हुआ। यही कारण है कि वारदात के 36 घंटे बाद भी कोई आरोपित पकड़ में नहीं आया। वहीं गोली से जख्मी चालक मुनेश को उसका खलासी भतीजा कानपुर रेफर कराने के बाद वहीं के निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। खलासी कृष्ण कुमार ने बताया कि मुनेश के सिर में दो इंच का घाव है और एक्सरे कराने पर पता चला है कि करीब 32 छर्रे शरीर में धंसे हैं। कृष्ण कुमार ने यह भी बताया कि वह हरिद्वार से मोटरसाइकिल लादकर झारखंड जा रहे थे। हंडिया टोल टैक्स पार करने के बाद कृष्णा ढाबा पर खाना खाया।
इसके बाद ट्रक उसे चलाने के लिए कहा और खुद घर फोन पर बात करने लगे। रास्ते में चाचा मुनेश को पेशाब लगी तो ट्रक रुकवाकर उतर गए। इसी बीच चार बदमाश आए और पिटाई कर पैसा व मोबाइल लूट लिया। ट्रक लूटने की कोशिश की तो मुनेश ने गाड़ी बढ़ाने की बात कहते हुए खुद खिड़की के पास लटक गए। इसी बीच लुटेरों ने फाय¨रग की, लेकिन उसने ट्रक नहीं रोका और थाने जाकर खड़ी की। पुलिस ने एंबुलेंस आने पर मुनेश को अस्पताल भिजवा दिया। पैसा कम होने के कारण वह चाचा को लेकर बस से कानुपर आ गया। उनके ठीक होने पर रिपोर्ट दर्ज कराने की बात कही है।
45 दिनों में लूट की 15 वारदात –
जिले में बेखौफ बदमाश आए दिन लूटपाट करते हैं। इसके बावजूद पुलिस लुटेरों को पकड़ने में पूरी तरह नाकाम है। डिस्ट्रिक क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि 45 दिनों में लूट की 15 बड़ी वारदात हुई है। फरवरी और मार्च में सबसे ज्यादा लूट झूंसी, फूलपुर और मऊआइमा थाना क्षेत्र में हुई। इसके अलावा थरवई, कौंधियारा, हंडिया, कर्नलगंज, उतरांव, करछना, नैनी, मेजा और दारागंज थाना क्षेत्र में लूट की वारदात हुई हैं। पुलिस इनमें से केवल दो घटनाओं का ही पर्दाफाश कर चुकी है। वहीं क्राइम ब्रांच की टीम भी घटनाओं के अनावरण में पूरी तरह फेल है।
ठीक से नहीं होती रात में गश्त –
जनपद में जिस तरह से हाईवे पर लूट की घटनाएं हो रही हैं, वह पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रही है। यूं तो हर रात रात्रिकालीन गश्त के लिए ग्रामीण अंचल के थानेदार, सीओ की ड्यूटी लगती है, लेकिन गश्त में खानापूरी ही होती है। वहीं डायल 100 की टीम भी गश्त करने में चौकसी नहीं बरत रही है। हालांकि कुछ माह पहले उच्चाधिकारियों की जांच में डायल 100 के कई पुलिसकर्मी सोते हुए मिले थे, जिन्हें निलंबित किया गया था। उनकी मानीट¨रग लखनऊ से भी होती है, लेकिन इसके बाद भी कार्यशैली में सुधार नहीं हो रहा है।