कनिष्क गुप्ता
इलाहाबाद : राजरूपपुर के रहने वाले अनिल कुमार मौर्य ने अपने भवन का गृहकर पिछले वर्ष जमा किया था, लेकिन इस बार के बिल में उसकी कटौती नहीं हुई। मेंहदौरी निवासी मो. असगर अली के बिल में भी गत वर्ष जमा किया गया, लेकिन कटकर नहीं आया। न जाने कितने और भवन स्वामी इस तरह की शिकायतें लेकर नगर निगम के टैक्स विभाग के अफसरों के पास पहुंच रहे हैं। वहीं अफसर भी बिल में संशोधन के लिए एनआइसी (लखनऊ) से ई-मेल और पत्राचार कर रहे हैं, लेकिन इसमें काफी समय लग रहा है।
नगर निगम में गृहकर जमा करने की व्यवस्था ऑनलाइन हो गई है। इसके लिए पूर्व में निगम ने स्वयं सॉफ्टवेयर तैयार कराया था। बाद में शासन के निर्देश पर एनआइसी (लखनऊ) ने सॉफ्टवेयर तैयार किया। इसमें धीरे-धीरे तमाम खामियां सामने आ रही हैं। जिन भवन स्वामियों ने पिछले वर्ष मैन्युअली गृहकर जमा किया है। उनकी पोस्टिंग नहीं हो पा रही है। ऐसे में नए बिल में पिछले वर्ष का गृहकर बकाया में जुड़कर आ रहा है। सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी के कारण करीब चार हजार भवन स्वामियों के बिल भी नहीं बन पाए हैं, जिससे उन्हें बिल नहीं भेजे जा सके हैं।
कुछ मुहल्लों के नाम भी गलत हो गए :
बिल में कुछ मुहल्लों के नाम भी गलत हो गए हैं। जैसे अतरसुइया की जगह अजरसुइया। लिहाजा, जिन लोगों को पासपोर्ट एवं अन्य कार्यो के लिए बिल लगाने पड़ रहे हैं, वह स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं।
मुख्य कर निर्धारण अधिकारी पीके मिश्र, ने बताया कि छोटी-छोटी गड़बड़ी के लिए ई-मेल और पत्राचार किया जाता है, लेकिन समस्या दूर होने में काफी वक्त लग जाता है। पुराने भुगतान की पोस्टिंग न होने से ज्यादा परेशानी हो रही है।
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