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3 दिन पहले घर से वापस ड्यूटी पर गये मनोज कुमार हुए शहीद

यशपाल सिंह

सुकमा में हुए नक्सली हमले में शहीद सीआरपीएफ जवान मनोज कुमार सिंह 15 दिन की छुट्टी बिताने के बाद तीन दिन पहले ही घर से ड्यूटी पर वापस लौटे थे। माता-पिता व पत्नी तथा बच्चों से कुछ दिनों बाद फिर वापस लौटने का वादा करके गए मनोज ने हमेशा-हमेशा के लिए दुनिया को विदा कह दिया।

छत्तीसगढ़ के सुकमा में तैनात मनोज कुमार सिंह होली के त्योहार पर 15 दिन की छुट्टी लेकर गांव आये थे। बताया जाता है कि तीन दिनों पहले वह 10 मार्च को वापस ड्यूटी पर जाने के लिये रवाना हो गये। 11 मार्च को वह सुकमा पहुंचे और रिपोर्टिंग के बाद देश सेवा में जुट गये।

मंगलवार को दिन में शहीद के घर पर जुटे गांव के लोगों के अनुसार मनोज कुछ दिनों बाद वापस आने का वादा कर गये थे, लेकिन इससे पहले ही उनके शहीद होने की खबर आ गयी। बेटे की शहादत से गुमसुम पिता नरेन्द्र कुछ बोल पाने की स्थिति में नहीं

मनोज सिंह 2002 से ही सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। उनकी शादी सुमन से साल 2003 में हुई थी। संयुक्त मकान में रहने में आ रही दिक्कतों को देखते हुए मनोज ने पिता नरेन्द्र नरायण सिंह से अलग मकान बनाने की योजना बनायी थी। परिवार के लोगों को क्या पता था कि बेटा मनोज अपना मकान इस दुनिया से ही अलग बना लेगा।

मां-पिता के आंसू देख हर कोई रो पड़ा

छत्तीसगढ़ के सुकमा में मंगलवार को हुए नक्सली हमले में जिले के मनोज कुमार सिंह भी शहीद हो गए। इसकी खबर सुबह करीब 11 बजे मिलने के बाद शहीद के गांव में कोहराम मच गया। मां-बाप व पत्नी के आंसू देख आस-पड़ोस के लोग भी रो पड़े। शहीद के मासूम बच्चे तो एकटक अपनी रोती-बिलखती मां को ही निहारते रहे। स्थानीय थाना क्षेत्र के उसरौली गांव निवासी सीआरपीएफ के 212 बटालियन में तैनात मनोज कुमार सिंह की वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ के सुकमा में पोस्टिंग थी।

बताया जाता है कि मंगलवार की सुबह नक्सलियों ने काम्बिंग करने जा रहे सीआरपीएफ जवानों के वाहन को आईडी ब्लास्ट से उड़ा दिया। इसकी सूचना केन्द्रीय सुरक्षा बल के अधिकारियों ने सुबह करीब 11 बजे शहीद के पिता नरेन्द्र नरायण सिंह को फोन पर दी। इस मनहूस खबर को सुनते ही गांव-घर में कोहराम मच गया। पिता के साथ ही मां शांति देवी, बुजुर्ग दादी सुरसती देवी तथा पत्नी सुमन दहाड़े मारकर रोने लगी। जानकारी होने के बाद गांव के लोगों साथ ही नाते-रिश्तेदारों की भीड़ जुट गयी। सभी शहीद के परिवार को ढांढस बंधाने लगे, लेकिन बेटे के गम में हर कोई बिलखता रहा। दो भाइयों में बड़े मनोज के दो पुत्र चार वर्षीय प्रतीक व छह साल का प्रिंस है। पिता के शहीद होने के बाद से दोनों गुमसुम बैठे हुए हैं। वह कभी मां तो कभी दादा-दादी का चेहरा निहार रहे हैं। शहीद का पार्थिव शरीर बुधवार को यहां पहुंचने की सम्भावना है।

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