सुल्तानपुर. कहते है सच सबको हज़म नहीं होता. असल में सच कड़वा होता है तो उल्टिया हो जाना स्वाभाविक है. अब हम दलाल तो है नहीं कि सच से मुह फेर ले और झूठ का साथ दे. एक शेर है वकील साहब, बहुत कमाल का है, अर्ज़ किया है कि हमारे मुह से जो निकले वही सदाकत है, हमारे मुह में तुम्हारी ज़बान थोड़ी है. राहत इन्दौरी का शेर है साहब कमाल का है. अगर मतलब नहीं समझ आये इसका तो किताबो का सहारा ले ले. हम तो सच लिखते है और सच दिखाते है, अब आपको बुरा लगे तो क्या कर सकते है.
कौन सी थी सही खबर जिस पर हो गई साहब को आपत्ति –
होली के दिन सुल्तानपुर जिले के कादीपुर में तहसील के सामने विमला मार्किट में क्षेत्र के कुछ एक दल विशेष के सदस्यों ने होली के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, मुद्दे की बात यह है कि उस कार्यक्रम की पूर्व में कोई अनुमति नहीं लिया गया था और कार्यक्रम शुरू हो गया. भाई ख़ुशी है त्यौहार की मानना चाहिये. मगर यहाँ सिर्फ ख़ुशी नहीं सेलिब्रेट हो रही थी. मंच पर माँ भारती की तस्वीर लगा कर उसके ऊपर माल्यार्पण किया गया. बिलकुल सही काम था, देश का सम्मान करना अतिआवश्यक है. मगर ये क्या साहब मंच पर माँ भारती की की तस्वीर और आप करवाना शुरू कर दिये अश्लील नाच. बालाओ के इस अश्लील नाच पर आयोजक द्वारा बुलाये गये क्षेत्र के सम्मानित नागरिको की नज़रे झुक गई. हमारे लिये खुशिया मानना समाचार भले न रहा हो मगर अश्लील नाच हमारे लिये खबर थी हो हमने प्रमुखता से वीडियो के साथ जनता जनार्दन के सामने परोस दिया था.
पुलिस ने बंद करवाया था यह अश्लील कार्यक्रम
मौके पर मौजूद सूत्र बताते है कि बिना अनुमति हो रहे इस कार्यक्रम को स्थानीय कादीपुर पुलिस ने मौके पर पहुच कर बंद करवा दिया था. यही नहीं आयोजक को थाना प्रभारी ने कड़ी फटकार भी लगाई थी. पुलिस की इस कार्य शैली की क्षेत्र में खुले मन से आम जनता ने प्रशंसा जहा किया था वही इस प्रकार के अश्लील कार्यक्रम की कड़ी भर्सना भी किया था. साथ ही जनता के द्वारा हमारी खबर को प्रोत्साहन भी दिया गया.
लग गया एक साहब को बुरा और पहुच गये है झूठा मुकदमा पंजीकृत करवाने.
हमारे लिये मात्र यह घटना एक खबर थी, हम जहा सही काम की तारीफ करते है वही अगर कोई गलत काम होता है तो उसकी खबर भी दिखाते है. काम जो भी हो कादीपुर जैसे एतिहासिक टाउन जिसने जंग-ए-आज़ादी में अपनी महती भूमिका निभाया है वहा माँ भारती के तस्वीर के सामने इस प्रकार अश्लीलता परोसना कड़ी निंदा के काबिल था, हमने प्रमुखता से इस खबर को प्रकाशित किया और आम जनता के सामने एक सच परोस दिया. मगर यह सच एक अधिवक्ता महोदय को शायद हज़म नहीं हुआ. हमने अपनी खबर में इस घृणित कार्य के लिये केवल एक आयोजक जिसका नाम बैनर पर लिखा था की भर्तसना किया था, मगर लगता है आयोजक एक के अलावा और कई थे. इसमें से शायद एक अधिवक्ता महोदय पहुच गये चंद आयोजको के साथ कादीपुर कोतवाली झूठा मुक़दमा दर्ज करवाने और एक झूठा लिखित शिकायती पत्र थाना प्रभारी को सौपते हुवे कहा कि मेरे साथ एक पत्रकार और उसके भाई व पिता ने मारपीट किया है और हमारी फाइल फाड़ के फेक दिया है. शिकायत झूठी है इसको वकील साहब हम नहीं कह रहे है बल्कि आपके ही एक साथी के द्वारा बताया गया है. आवश्यकता पड़ी तो सम्मानित न्यायालय में वौइस् रिकॉर्डिंग के साथ उसको साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है.
वकील साहब क्यों झूठ के पाँव पसार रहे है प्रभु.
वकील साहब को आपत्ति है कि हमने वह खबर क्यों दिखाई जिसमे उनकी बेईज्ज़ती हो रही है. साहब एक बात नहीं समझ आई कि खबर में हमने आयोजक के सिर्फ एक सदस्य का नाम लिखा है, तथा मौजूद संभ्रांत नागरिको की बात किया है जिसमे कई नाम है. अब बात ये नहीं समझ आई कि हमने आयोजक में आपका नाम लिखा भी नहीं है तो फिर आपकी बेईज्ज़ती कैसे हुई. हमने आपके नाम के आगे संभ्रांत नागरिक शब्द लिखा है. लगता है आपको फिर संभ्रांत का तात्पर्य नहीं समझ आया साहब ये इज्ज़त का शब्द होता है, अब अगर आपको आपत्ति है कि हमने आपके नाम हो इज्ज़त दिया तो भाई अब हम उसके लिये कुछ नहीं कर सकते है.
वकील साहब सच का गला घोटने की साजिश न कीजिये –
देखिये वकील साहब आपने थाने में प्रार्थना पत्र दिया, उसके पहले आपने अपने साथियों के साथ एक बैठक किया, उस बैठक में आपने कहा कि बैक डेट का परमिशन बनवा लिया जायेगा. उसके बाद आपने झूठा शिकायती प्रार्थना पत्र लिखा कुछ लोगो के साथ आप थाना प्रभारी से मिलने गये. थाना प्रभारी ने बतौर शिष्टाचार आपको चाय पिलवाया. अब आप हैरान होंगे कि ये सब कुछ मुझको कैसे पता. तो वकील साहब आप बड़े है भले हम बहुत छोटे है मगर है हम भी. आपके साथ के ही साथियों में कुछ हमारे शुभचिंतक भी है. उन्होंने ही भेज दिया. कभी ईश्वर ने समय दिया सामने बैठ कर आपको दिखा दूंगा. तो साहब क्यों झूठ का कागज़ी घोडा दौड़ा रहे है प्रभु, अब आप जितना पढ़े लिखे तो नहीं है मगर साहब दो चार अक्षर हमने भी पढ़ा है, वैसे आईपीसी और सीआरपीसी का ज्ञान हमको भी है. साहब मै तो खुल्लम खुल्ला बोलता हु कि खबर मैंने लिखी है. हरिशंकर सोनी का नाम बस ऐसे ही है क्योकि वह वही का निवासी है. तो साहब मुक़दमा करना है तो मेरे ऊपर कर दे न, हमको न्यायपालिका पर पूरा विश्वास है, दावा ठोक दीजिये न साहब मेरे ऊपर, सभी सबूतों के साथ आ जाऊंगा न्यायालय. कहा एक गरीब युवक के खिलाफ षड़यंत्र कर रहे है. अगर करना है तो मेरे खिलाफ कर दे सर,
षड्यंत्र के तहत प्रशासन पर दबाव बना कर फ़साना चाहते है पत्रकार को
अब साहब जानकारी तो हमको यहाँ तक है कि सोमवार की सुबह आप अपने साथियों के साथ हडकम्प मचायेगे, खूब हो हल्ला करेगे, उसके बाद कुछ साथियों के साथ जाकर उच्चाधिकारियों से मिलेगे और उनके ऊपर दबाव नाजायज़ बना कर झूठा मुकदमा पंजीकृत करवायेगे. वकील साहब, तसल्ली से जीने दे, निष्पक्ष जांच की बात करते है आप तो ठीक आप अपने शिकायती प्रार्थना पत्र की निष्पक्ष जाँच किसी भी अधिकारी से करवा ले, साक्ष्य रखने का मौका जांच अधिकारी हमको भी देगे, फिर देखते है आपका झूठ मजबूत है या फिर हमारा सच. देखते है बचपन से सुनते आये उस शब्द की ताकत को कि सत्य परेशान हो सकता है मगर पराजित नहीं, तो इस बार फिर उसी परिभाषा की कसौटी पर कसते है इस मुद्दे को. होने दीजिये निष्पक्ष जाँच. आपके पास तो गवाह वगैरह रेडीमेड होंगे ही, कुछ मौका मेरा भी, साहब टाउन आपका, शहर आपका गवाह आपके साथी आपके देखते है शायद उसमे दो चार मुझको भी जानते हो और सच पसंद करते हो.
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