कनिष्क गुप्ता.
इलाहाबाद : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की ओर से कुंभ में शाही स्नान के बहिष्कार के एलान से शुक्रवार को हड़कंप मच गया। इलाहाबाद से लखनऊ तक मोबाइल घनघनाने लगे। कुछ ही देर बाद डीएम सुहास एलवाई और कुंभ मेलाधिकारी को अखाड़ों के प्रतिनिधियों से वार्ता को भेजा गया।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों की शुक्रवार दोपहर पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन कीडगंज में महत्वपूर्ण बैठक हुई। इसमें अखाड़ा परिषद ने राज्य सरकार के रवैये पर नाराजगी जताया। निर्णय लिया गया कि अखाड़े कुंभ 2019 में शाही स्नान नहीं करेंगे। बैठक के बाद परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि कुंभ को लेकर अखाड़ों के स्थायी निर्माण न शुरू कराए जाने से संत समाज नाराज है। साथ ही सभी 13 अखाड़े प्रदेश सरकार के रवैये से खफा हैं। कुंभ को लेकर संतों की न तो निगरानी कमेटी बनाई गई और न ही उनसे कोई सलाह ही लिया गया, जबकि निगरानी कमेटी के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आश्वासन भी दिया था। मगर अफसर कुछ करने को तैयार नहीं हैं।
एक बार एक टीम आई थी जिसके द्वारा कहा गया था कि इंजीनियर अखाड़ों से सलाह लेते रहेंगे मगर कोई नहीं आया। जबकि उज्जैन मेले में वहां प्रभारी मंत्री तक हर हफ्ते अखाड़ों में आते थे। कहा कि इस उपेक्षित रवैये के कारण अखाड़े अब कुंभ मेले में कोई सरकारी सुविधा नहीं लेंगे। अपनी व्यवस्था खुद करेंगे। अखाड़े कुंभ में आएंगे और गंगा स्नान भी करेंगे मगर शाही स्नान का बहिष्कार करेंगे। यह भी कहा कि सलाहकार समिति और मार्ग दर्शक मंडल में भी संत नहीं रहेंगे। अखाड़ा परिषद की बैठक में इस कड़े निर्णय से लखनऊ तक हड़कंप मच गया। अफसरों से इस बाबत पूछताछ होने लगी। इसी बीच डीएम सुहास एलवाई और कुंभ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद को अखाड़ों की बैठक में भेजा गया। वहां अधिकारियों ने अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों से वार्ता की, लेकिन परिषद अपने प्रस्ताव पर अडिग रहा। नरेंद्र गिरि ने बताया कि अफसरों ने समय पर कार्य के लिए आश्वासन दिया है, लेकिन परिषद के पदाधिकारी अपने निर्णय पर अडिग हैं।