संजय ठाकुर
मऊ : सदर विधायक के प्रतिनिधि ने विशेष बातचीत के दौरान बताया कि विधायक मुख्तार अंसारी लगातार पाँचवी बार प्रदेश की सदन में पहुँचे है इसके पूर्व राष्ट्रपति, राज्यसभा सांसद और विधान परिषद सदस्य के चुनाव होते रहे है, जेल में निरुद्ध के दौरान हमेशा वोट देते रहे है राज्यसभा के इस चुनाव में भी भारत निर्वाचन आयोग से निर्देश प्राप्त हुआ था कि न्यायालय की अनुमति लेकर वोट दिया जा सकता है इसके बाद पाँच सेशन न्यायालयों से हम लोगों ने अनुमति प्राप्त किया लेकिन राज्य सरकार विधायक को वोट देने से वंचित कर दी और जो पाँच न्यायालयों से हमने आदेश प्राप्त किया था उसमे से एक न्यायालय के आदेश को माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में राज्य सरकार द्वारा चैलेंज किया गया जिस पर माननीय उच्च न्यायालय ने स्टे कर दिया लेकिन चार न्यायालयों के आदेश अब भी बरकरार है उसमे से एक सेशन न्यायालय दिल्ली के सीबीआई कोर्ट का भी आदेश प्राप्त है और वो जुडिशियल दिल्ली हाईकोर्ट के अंतर्गत है वो इलाहाबाद हाईकोर्ट के अंतर्गत नही आता। सरकार येन केन करके भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को जिताना चाहती थी इसलिये जानबूझकर मुख्तार अंसारी के वोट को पड़ने नही दिया गया जबकि वो एक निर्वाचित विधायक है ये उनका मौलिक अधिकार है जिसका हनन किया गया है अगर यही करना था तो चुनाव की ये प्रक्रिया करने की जरूरत ही क्या थी जिसको चाहते उसको बना देते !
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