नवरात्र शुरू होते ही सजावट मंदिरों में होना शुरू हो चुकी है और बाजारों में पूजा सामग्री की दुकानें लग गई हैं. इस बार चैत्र नवरात्र 18 मार्च से 26 मार्च तक रहेंगे। अबकी बार चैत्र नवरात्र में विशेष यह है कि लगातार चौथे वर्ष चैत्र नवरात्र 8 दिन की होती है जो इस बार हैं, क्योंकि अष्टमी-नवमी तिथि एक साथ है।
चैत्र नवरात्रि से ही नववर्ष के पंचांग की गणना शुरू होती है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। इसके बाद नवरात्रि के नौ दिन मां की पूजा जाती है। नवरात्रि के नौ दिन मां के अलग-अलग स्वरुप की पूजा की जाती है। चैत्र में नवरात्रि में उपासना, पूजा करने से आत्मशुद्धि के साथ-साथ घर की नाकारात्मकता भी दूर होती है और वातावरण में साकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। सकारात्मक ऊर्जा की प्रतीक चैत्र नवरात्रि इस बार 18 मार्च से शुरू होकर 26मार्च तक चलेंगी। लेकिन इस बार नवमी तिथि का क्षय होने कारण नवरात्रि आठ दिन की होगी।
नवरात्रि का मंत्र
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघंटेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च । सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः ।।
नवरात्रि घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
प. रघुनाथ प्रसाद शास्त्री के अनुसार इस बार घट स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त हैं। इनमें से पहला शुभ मुहूर्त 18 तारीख को सुबह 06 बज कर 31 मिनट से बज 7कर 46 मिनट तक रहेगा। दूसरा मुहूर्त 9 बज कर 30 मिनट से प्रारंभ हो कर 11 बज कर 15 मिनट तक रहेगा। उस समय वृषभ लग्न होगी जिसमें कलश स्थापित करना अधिक शुभ रहेगा। वृषभ लग्न सुबह 9:30 मिनट से 11:15 मिनट तक रहेगी। इस शुभ कार्यकाल में कलश स्थापित करने लाभकारी रहेगा। नवरात्रि की शुरुआत प्रतिपदा को सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी।
18 मार्च (रविवार)घट स्थापन एवं माँ शैलपुत्री पूजन
19 मार्च (सोमवार),माँ ब्रह्मचारिणी पूजन
20 मार्च (मंगलवार),माँ चंद्रघंटा पूजन (गणगौर पूजन )
21 मार्च (बुधवार), माँ कुष्मांडा पूजन
22 मार्च (बृहस्पतिवार ),माँ स्कंदमाता पूजन
23 मार्च (शुक्रवार ), माँ कात्यायनी पूजन
24 मार्च (शनिवार), माँ कालरात्रि पूजन, माँ महागौरी पूजन (दुर्गा अष्टमी पूजन)
25 मार्च (रविवार ),सिद्धिदात्री पूजन, राम नवमी
26 मार्च( सोमवार)समापन
कन्या पूजन का है विशेष महत्व
हिन्दू धर्म के अनुसार नवरात्रों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। माँ भगवती के भक्त अष्टमी या नवमी को कन्याओं की विशेष पूजा करते हैं। नौ कुमारी कन्याओं को बुलाकर भोजन करा सब को दक्षिणा और भेंट देते हैं। कुमारी कन्या वह कहलाती है जो दो वर्ष की हो चुकी हो, तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छ:वर्ष की कालिका, सात वर्ष की चण्डिका, आठ वर्षकी शाम्भवी, नौ वर्षकी दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती हैं। प्रायः इससे उपर की आयु वाली कन्या का पूजन नही करना चाहिए।
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