यशपाल सिंह
हाईकोर्ट ने 2015 में लगभग 29 हजार पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती पर लगी रोक हटा ली है। कोर्ट ने कहा कि लिखित परीक्षा कराए बगैर मेरिट के आधार पर भर्ती किए जाने में कोई अवैधानिकता नहीं है।
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले एवं न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खंडपीठ ने रणविजय सिंह व अन्य की कई याचिकाओं पर दिया है। याचिकाओं में कहा गया था कि सूबे में 2008 से पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती लिखित परीक्षा के आधार पर की जा रही है। 2008 का नियम था कि पहले प्रारंभिक फिर मुख्य लिखित परीक्षा कराई जाएगी।
2015 में 2008 के रूल को बदलकर लिखित परीक्षा का प्रावधान समाप्त कर दिया गया और मेरिट के आधार पर चयन करने का निर्णय लिया गया। तय हुआ कि दसवीं व 12वीं के अंकों के गुणांक के मेरिट के आधार पर चयन और फिर शारीरिक दक्षता परीक्षा कराई जाएगी। साथ ही 28 हजार से ज्यादा पुरुष व 5800 महिला कांस्टेबलों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई। याचियों का कहना था कि मेरिट के आधार पर चयन अवैधानिक व गैरकानूनी है।
याचिकाओं पर जवाब में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सूबे में पुलिस कांस्टेबलों की काफी कमी है। इस समय लगभग डेढ़ लाख पुलिस कांस्टेबलों की जरूरत है। लिखित परीक्षा की प्रक्रिया लंबी होती है। इसके माध्यम से चयन में काफी समय लग जाता है। पूर्व में हुई भर्तियों में पहले मेडिकल फिर लिखित व उसके बाद शारीरिक दक्षता परीक्षा के माध्यम से चयन होता था। इसमें कई वर्ष लग जाते थे।
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