सुदेश कुमार
बहराइच 06 अप्रैल। जिला गन्ना अधिकारी राम किशन ने बताया कि गन्ना की स्वीकृत प्रजातियाॅ अधिक उपज के साथ-साथ अधिक परता देने वाली होती हैं, जिससे किसानों व चीनी मिल दोनों के लिए लाभदायक हैं। गन्ना किसानों तथा चीनी मिल के लिए स्वीकृत प्रजातियों की उपयोगिता को मद्देनज़र रखते हुए गन्ना विकास विभाग द्वारा किसानों से लगातार अपील की जा रही है कि सभी कृषक बंसतकालीन बुवाई में स्वीकृत गन्ना प्रजातियों का ही उपयोग करें। सम्पूर्ण प्रदेश के लिए विभाग द्वारा शीघ्र पकने वाली 13 एवं मध्य देर से पकने वाली 15 गन्ना प्रजाजियों को बुवाई के लिए स्वीकृत किया गया है।
गन्नाधिकारी ने बताया कि इसके अतिरिक्त प्रदेश के पूर्वी, मध्य एवं पश्चिमी क्षेत्र के लिए भी अलग-अलग विभिन्न प्रजातियों की स्वीकृति प्रदान की गई है। शीघ्र पकने वाली प्रजातियों में को.-0238, को.-0118, को.एल.के.-94184ए को.शा.-8272ए को.शा.-13231, यू.पी.-05125 आदि तथा मध्य देर से पकने वाली प्रजातियां को.शा.-09232, को.शा.-8289, को.शा.-12232, को.शा.-97261, को.शा.-01434, को.शा.-11453, यू.पी.-0097 आदि प्रमुख प्रजातियां हैं। प्रमुख गन्ना प्रजातियां अधिक गन्ना उपज देने वाली, रोग-रोधी एवं अच्छा चीनी परता देने वाली हैं। गन्ना किसानों को इनकी बुवाई करने से अच्छा लाभ प्राप्त होता है।
उन्होंने बताया कि अस्वीकृत गन्ना प्रजातियां जहाॅ एक ओर कम गन्ना उपज देती है वहीं दूसरी ओर इससे कम चीनी परता प्राप्त होने से किसान व मिल दोनों को हानि होती है। अस्वीकृत प्रजातियों में कीट व रोग का अधिक प्रकोप होता है तथा इनमें रेड-राट रोग लगने की संभावना भी अधिक होती है। इन प्रजातियों का गन्ना खरीद दर भी स्वीकृत प्रजातियों से 20रू. प्रति कुंटल कम है। कम उपज तथा कम खरीद मूल्य के दर के कारण अस्वीकृत प्रजातियां किसानों के लिए नुकसानदायक है जिसके कारण किसान को आर्थिक हानि होती है। उन्होंने किसानों को सुझाव दिया है कि अस्वीकृत प्रजातियों जैसे को.-0233, को.शा.-92423, को.शा.- 91269, को.एल.के.-8102, को.-1148, बी.ओ.-91 आदि की कदापि बुवाई न करें।
गन्नाधिकारी ने बताया कि विभाग द्वारा वर्तमान बंसतकालीन बुवाई में अधिकाधिक टैंªच विधि से गन्ना बुवाई करने तथा गन्ने के साथ अन्तःफसली के रूप में दलहन एवं सब्जियों की बुवाई करने की भी सलाह दी जा रही है ताकि किसान की आय में वृद्धि हो सके। उन्होंने किसानों से अपील की है कि मृदा परीक्षण के आधार पर ही संस्तुत पोषक तत्वों का प्रयोग करें तथा गन्ना बीज का गर्म वायु जल संयंत्रों से शोधन कराकर बुवाई करें। उन्होंने बताया कि विभाग की गन्ना बीज पौधशालाओं में पर्याप्त मात्रा में गन्ना बीज उपलब्ध है। इच्छुक किसान पौधशालाओं से ही बीज प्राप्त कर बुवाई करें। उन्होंने यह भी बताया कि बसंतकालीन बुवाई में अब तक प्रदेश में 3,16,075 हे. टैंªच विधि से गन्ने की बुवाई तथा 2,48,386 हे. क्षेत्रफल में गन्ने के साथ अंतःफसली खेती की जा चुकी है।
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