तारिक आज़मी
नई दिल्ली : सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से फेक न्यूज परोसने वाले पत्रकारों पर सख्त कदम उठाते हुए मान्यता रद्द करने के फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने फर्जी खबरों के फैसले को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से वापस लेने को कहा है. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा है कि इस पर सिर्फ भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) ही सुनवाई करेगा.
दरअसल, फर्जी खबरों पर लगाम लगाने के उपाय के तहत सरकार ने सोमवार को गाइडलाइंस जारी की थीं, जिसमें कहा गया था कि अगर कोई पत्रकार फर्जी खबरें करता हुआ या इनका दुष्प्रचार करते हुए पाया जाता है, तो उसकी मान्यता स्थायी रूप से रद्द की जा सकती है.सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा था कि पत्रकारों की मान्यता के लिए संशोधित दिशा-निर्देशों के मुताबिक अगर फर्जी खबर के प्रकाशन या प्रसारण की पुष्टि होती है, तो पहली बार ऐसा करते पाये जाने पर पत्रकार की मान्यता छह महीने के लिए निलंबित की जायेगी. दूसरी बार ऐसा करते पाये जाने पर उसकी मान्यता एक साल के लिए निलंबित की जायेगी. वहीं, तीसरी बार उल्लंघन करते पाये जाने पर पत्रकार की मान्यता स्थायी रूप से रद्द कर दी जायेगी.
मंत्रालय ने कहा कि अगर फर्जी खबर के मामले प्रिंट मीडिया से संबद्ध हैं, तो इसकी कोई भी शिकायत भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) को भेजी जायेगी और अगर यह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से संबद्ध पाया जाता है, तो शिकायत न्यूज ब्रॉडकास्टर एसोसिएशन(एनबीए) को भेजी जायेगी, ताकि यह निर्धारित हो सके कि खबर फर्जी है या नहीं. मंत्रालय ने कहा कि इन एजेंसियों को 15 दिन के अंदर खबर के फर्जी होने का निर्धारण करना होगा.ये दोनों संस्थाएं ही तय करेंगी कि जिस खबर के बारे में शिकायत की गयी है, वह फेक न्यूज है या नहीं. दोनों को यह जांच 15 दिन में पूरी करनी होगी. एक बार शिकायत दर्ज कर लिये जाने के बाद आरोपी पत्रकार की मान्यता जांच के दौरान भी निलंबित रहेगी. सूचना मंत्रालय के इस दिशा-निर्देश पर कई संगठनों ने विरोध दर्ज कराया था. विपक्षी दल कांग्रेस ने भी सरकार की मंशा पर सवाल उठाये थे और मीडिया से जुड़े संगठनों ने भी आपत्ति जतायी थी. देश भर में काफी विरोध जाहिर करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की और उसके फैसले को पलटने का आदेश दिया.
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