तारिक खान
उन्नाव. उन्नाव पुलिस द्वारा भाजपा विधायक की जी हजुरी ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही है. महिला के साथ रेप जैसे गंभीर मामले को पहले तो नज़रअंदाज़ किया और साथ ही साथ पीडिता की तहरीर तक पर कोई कार्यवाही नहीं किया, उसके बाद पीडिता के पिता को आर्म्स एक्ट में बंद कर दिया जहा इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. मौत के बाद उठे बवाल को ठंडा करने के लिये भले पुलिस अधीक्षक ने कड़ी कार्यवाही करते हुवे थाना स्थानीय के थानेदार को सस्पेंड कर दिया मगर इसके बाद भी पोस्टमार्टम के 28 घंटे बीतने के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई जिसमे खुलासा हुआ कि मृतक के शरीर पर कुल 14 चोटों के निशान पाये गये है. जिसके कारण खून अधिक बह गया था, मौत का कारण शाक शॉक सेप्टीसीमिया बताया गया है सीएमओ ने पोस्टमार्टम का खुलासा करते हुवे बताया कि आंतो में छेद हो जाने के कारण मृतक का शारीर शाक्ड हो गया था जिसके कारण उसकी मौत हुई है.
अब अगर इस पोस्टमार्टम रिपोर्ट को आधार लेते है और आरोप को किनारे भी रख दिया जाये तो यह जवाब अब उन्नाव पुलिस और जेल पुलिस मिलकर दे सकती है कि अगर आरोप गलत है तो फिर मृतक को ये चोट कहा से लगी. इतनी अधिक चोटे तो किसी द्वारा बेरहमी से पिटाई के कारण आती है. अगर इसमें पीड़ित परिजनों के आरोप गलत है तो फिर ये चोट पुलिस अभिरक्षा में आई है क्या ? साहब जो हो मगर एक बात तो साफ़ है कि पुलिस की कार्यशैली संदिग्ध ही है.
इस दौरान नई जानकारी जो निकल कर सामने आ रही है वह यह है कि पीडिता के पिता के साथ साथ पुलिस ने पीडिता के चाचा पर भी मुकदमा दर्ज कर रखा है. पीड़ित परिजनों की माने तो पुलिस ने विधायक के इशारे पर जैसे मृतक को फर्जी मुक़दमे में फंसाया था वैसे ही मृतक के भाई और पीडिता के चाचा को भी फर्जी मुक़दमे में फंसा रखा है. सवाल बड़ा यहाँ खड़ा होता है कि अगर विधायक द्वारा अपनी सफाई में दिये गये बयान को ही आधार मान लिया जाये कि विवाद संपत्ति का है तो फिर एक बात समझ में नहीं आ रही है कि समस्त मुक़दमे एक पक्ष के ऊपर ही क्या लगे हुवे है. आखिर मृतक को कहा चोट आई जो उसकी मौत का सबब बनी, यह चोट क्या पुलिस हिरासत में आई है ? अगर ऐसा नहीं है तो फिर मृतक के परिजनों के आरोपों को बल मिलता है कि मृतक को विधायक समर्थको और विधायक के भाइयो और विधायक द्वारा पेड़ से बाँध कर पीटा गया था. चर्चाओ एवं पीड़ित परिजनों के आरोपों के अनुसार घटना के दिन पीडिता के पिता और उसके चाचा को विधायक कुलदीप सेगर के लोगो द्वारा पेड़ से बांध कर पिटाई किया गया था. इसके बाद कुलदीप सेगर की जी हजुरी में लगे थानेदार ने दोनों के ऊपर फर्जी मुक़दमा भी लिख दिया.
खैर मामला बढ़ता देख अपना पक्ष मज़बूत करने के लिये उत्तर प्रदेश पुलिस ने विधायक के दो भाइयो को गिरफ्तार कर लिया है. कल विधायक के चार समर्थको की गिरफ़्तारी के बाद विधायक के भाइयो की गिरफ़्तारी के बाद भले ही प्रदेश के तेज़ तर्रार आईपीएस अधिकारी डीजीपी ओ.पी. सिंह की पुलिस अपनी पीठ थपथपा रही है मगर चर्चाओ के अनुसार पुलिस की यह कवायद केवल मामले को ठंडा कर दबाने का एक प्रयास है. क्योकि इन प्रकरणों में मुख्य आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है.
वही प्रकरण में विपक्षी पार्टियों के समर्थको और आम जनता की चर्चाओ को आधार माना जाये तो कही न कही से सत्ता का दबाव काम कर रहा है और केस को दबाने के लिये तथा अपनी नाक बचाने का प्रयास किया जा रहा है. सत्तारूढ़ दल के विधायक होने का फायदा कुलदीप सेंगर को मिल रहा है और कही न कही से उन्नाव में भाजपा विधायक का राज चलता है.
इसी बीच समाचार लिखे जाने के दौरान एक नई जानकारी निकल कर सामने आ रही है कि एडीजी (लो) ने उक्त प्रकरण में एक एसआईटी का गठन किया है जिसकी अध्यक्षता एडीजी लखनऊ करेगे. यह एसआईटी टीम मामले की जाँच करेगी और विधायक से भी पूछताछ करेगी. इस प्रकरण में एडीजी (लो) ने बताया कि पीड़ित पक्ष का जो आरोप था कि उनकी पुलिस ने नहीं सुनी तो उसी आधार पर यह एसआईटी गठित किया गया है जिसकी जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्यवाही होगी.
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