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कीटो से रहे सावधान गन्ने की फसल कर सकते  नुकसान-डा.रवि प्रकाश मौर्य

अनंत कुशवाहा 

पेड़ी बसन्तकालीन एवं शरदकालीन गन्ने की फसल खेतों में लगी हुई है। गन्ने की फसल में कई तरह के कीट लगने का खतरा रहता है जो पूरी की पूरी फसल को बर्बाद कर सकते हैं। इनसे बचने के लिए किसानों को सबसे पहले तो बुवाई के समय ही कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे कीट न लगें, लेकिन फिर भी अगर कीट लग जाते हैं तो उसके लिए किसानों को उचित कीटनाशक का इस्तेमाल करना चाहिए ।नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज फैजाबाद द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र पाँती अंबेडकर नगर के कार्यक्रम समन्वयक डा. रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि गन्ना की खेती करने वाले किसान भाइयों को इस समय विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ।गन्ने में मुख्य रूप से इस समय  कीटों का प्रकोप हो सकता है।

दीमक कीट बुवाई से कटाई तक फसल की किसी भी अवस्था में लग सकता है। दीमक पैड़ों के कटे सिरों, पैड़ों की आंखों, किल्लों को जड़ से तना तक गन्ने को भी जड़ से काट देता है और कटे स्थान पर मिट्टी भर देता है। दीमक की रोकथाम के लिये  इमिडाक्लोप्रिड17.8 एसएल, 400 मिली प्रति हेक्टेयर1875 लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करना चाहिए। इसके अलावा जिस खेत में दीमक का प्रकोप हो उसमे समुचित सिंचाई करके भी दीमक को कम किया जा सकता है।  अंकुर बेधक कीट गन्ने के किल्लों को प्रभावित करने वाला कीट है और इस कीट का प्रकोप गर्मी के महीनों (मार्च से जून तक) में अधिक होता है। प्रभावित पौधे की पहचान   मृतसार का पाया जाना ऊपर से दूसरी या तीसरी पत्ती के मध्य सिरा पर लालधारी का पाया जाना है मार्च से मई तक अण्डो्ं को इक्ट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिएमार्च से मई तक प्रभावित पौधों के पतली खुरपी से लारवा/प्यूपा सहित काटकर निकालना तथा चारे में प्रयोग करना या उसे नष्ट कर देना चाहिये। पायरिला कीट हल्के से भूरे रंग का 10-12 मिमी लम्बा होता है।

इसका सिर लम्बा व चोंचनुमा होता है। इसके बच्चे बच्चे तथा वयस्क गन्ने की पत्ती से रस चूसकर क्षति पहुंचाते हैं। इसका प्रकोप माह अप्रैल से अक्टूबर तक पाया जाताहै। शल्क कीट गन्ने की पोरियों से रस चूसने वाला एक हानिकारक कीट है। इसके बच्चे हल्के पीले रंग के होते हैं जो थोड़े समय में गन्ने की पोरियों पर चिपक जाते हैं। गतिहीन सदस्यों का रंग पहले राख की तरह भूरा होता है जो धीरे-धीरे काला हो जाता है। मछली के शल्क की तरह ये कीट गन्ने की पोरियों पर चिपके रहते हैं।प्रभावित छेत्रों से अप्रभावित क्षोत्रों में बीज किसी दशा में वितरित नहीं करना चाहिए।जहां तक सम्भव हो, ग्रसित खेतों की पेड़ी न ली जाए।।ग्रासहॉपर  इसके निम्फ तथा वयस्क गन्ने की पत्तियों को जून से सितम्बर तक काटकर हानि करते हैं।रोकथाम हेतु मई के महीने में मेड़ों की छंटाई तथा घास-फूस की सफाई करे।फेनवलरेट 0.4 प्रतिशत धूल दर 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर का धूसरण करना चाहिए।

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