आफताब फारुकी
इलाहाबाद। प्रयाग की सांस्कृतिक गरिमा और पौराणिक महत्व को पुनः स्थापित किये जाने के क्रम में प्रशासन और संतों का सम्मिलित प्रयास आज रंग लाया। तीर्थराज प्रयाग की कई दशकों से विलुप्तप्राय हो चुकी पंचकोसी परिक्रमा के साथ द्वादश रूपों में प्रयाग में स्थापित द्वादश माधव परिक्रमा भी गंगा पूजन के साथ अखाड़ा परिषद के संतों और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की अगुवाई में पुनः प्रारम्भ हो गयी। संगम तट से प्रारम्भ हुई परिक्रमा में संत और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ श्रद्धालु भी साथ-साथ चले।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी, महामंत्री महंत हरि गिरी तथा अन्य अखाड़ों के प्रमुख संत गण के साथ इलाहाबाद के मण्डलायुक्त डा. आशीष कुमार गोयल, कुम्भ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद, कुम्भ मेला वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के.पी सिंह ने संगम तट पर भगवती गंगा तथा त्रिवेणी की षोडशोपचार पूजा की तथा वेद मंत्रों के साथ प्रार्थना करते हुए इस पुनीत कार्य का शुभारम्भ करने एवं प्रयाग की गरिमा को ऊपर उठाने के साथ कुम्भ आयोजन की सफलता के लिए गंगा मईया से आशीष मांगा ।
मण्डलायुक्त ने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि हमें प्रयाग में सेवा करने और इलाहाबाद नगर को संवारने के साथ-साथ कुम्भ के भव्य एवं दिव्य आयोजन का अवसर मिला है। प्रयाग की सांस्कृतिक गरिमा और पौराणिक पहचान को पुनः स्थापित करने की दिशा में द्वादश माधव मंदिरों का जीर्णोद्धार एवं सुन्दरीकरण करते हुए उन्हें आवश्यक मूलभूत सुविधाओं से लैस करना एवं पर्यटन के आकर्षण का विषय बनाना हमारा लक्ष्य है। इसी प्रकार तीर्थराज प्रयाग में पंचकोसी परिक्रमा जो पिछले दशकों से विलुप्त होती जा रही थी, उसे पुनः प्रारम्भ करना तथा इसके माध्यम से प्रयाग की प्राचीन सांस्कृतिक गरिमा और पौराणिक महत्व को उजागर करने की दिशा में उठाया गया यह एक बड़ा कदम है। कहा कि मुख्यमंत्री ने द्वादश माधव और पंचकोसी परिक्रमा को पुनर्जीवित करने तथा इस परिक्रमा मार्ग में मार्ग-प्रकाश, शौचालय आदि सुविधाओं को जोड़ते हुए इस पर आने वाले प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार और सुन्दरीकरण करने का संकल्प व्यक्त किया था। इस संकल्प को पूरा करने की दिशा में इस परिक्रमा का प्रारम्भ होना, प्रयाग की एक बड़ी उपलब्धि है।
गौरतलब है कि शासन के निर्देश पर प्रशासन द्वारा नगर के सभी द्वादश माधव मंदिरों का जीर्णोद्धार तथा सुन्दरीकरण की कार्ययोजना बनायी जा रही है। सभी द्वादश माधव मंदिरों को एक परिक्रमा पथ से जोड़ते हुए उन तक सुगम पहुंच के लिए साइनेज एवं सड़क तथा उनके परिसरों में सोलर लाइट, रिटेनिंग वाल, वाउण्ड्री वाल, सत्संग हाल, चबूतरे, गेट, शौचालय, स्नानागार, रेलिंग, फर्श के निर्माण, पीने का पानी, शेड, बेंच आदि निर्मित किये जाने की तैयारी प्रशासन द्वारा की जा रही है।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि आज जो परिक्रमा प्रारम्भ की जा रही है, इसे आम श्रद्धालुओं के लिए एक व्यवस्थित तथा संगठित परिक्रमा के रूप में विकसित और प्रचारित किया जायेगा। त्रिवेणी तक आने वाले श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने के साथ परिक्रमा के द्वारा प्रयाग के पुण्य स्थलों से व्यापक रूप से परिचित हो सकेंगे। अखाड़ा परिषद के महामंत्री ने कहा कि बहुत पहले से हर वर्ष 12 दिन की प्रयाग परिक्रमा त्रिवेणी से प्रारम्भ होकर पुनः त्रिवेणी तक आना एक परंपरा रही है। प्रयाग के बाहरी क्षेत्र में फैले विभिन्न तीर्थों का दर्शन करते हुए यह परिक्रमा पूरी की जाती है तथा संक्षिप्त परिक्रमा डेढ़ दिन में भी पूरी की जा सकती है, जिसे अंतर्वेदी परिक्रमा कहते हैं। इन परिक्रमाओं में प्रयाग के द्वादश माधव मंदिर तथा विभिन्न शिव मंदिर भी आते है। आज की परिक्रमा में परिक्रमा पथ के निर्धारण और विकास संबंधी अन्य जरूरतों को भी चिन्हित कर लिया जायेगा। संगम तट पर परिक्रमा का शुभारम्भ देखकर गंगा स्नान करने वाले हजारों लोगों ने भी इस शुभारम्भ में हर्ष के साथ भागीदारी की।
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