आदिल अहमद
लखनऊ। केजीएमयू के पीडियाटिक विभाग के नियोनेटल वार्ड में भर्ती चार महीने के बच्चे की मौत के बाद डॉक्टरों और तीमारदारों के बीच हुई मारपीट के चलते जूनियर डाक्टरों ने काम बंद कर दिया। जिसका खामयाजा इमरजेंसी से लेकर वार्ड तक भर्ती मरीजों को भड़ना पड़ा। इलाज न मिलने के कारण मरीज तड़पते रहे। शहर और गैर जनपदों से आए करीब 50 मरीजों को भर्ती नहीं किया गया। मरीजों के परिवारीजन डॉक्टरों के सामने घंटो गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन किसी ने एक सुनी। हालत बिगड़ते देख वह अन्य अस्पतालों में मरीज लेकर चले गए। उधर, कई मरीजों के परिवारीजन इलाज के लिए सीएमओ से लेकर आलाधिकारियों को फोन करते रहे पर किसी के फोन रिसीव नहीं हुए।
इमरजेंसी सेवाएं ठप, व्यवस्था में विराम चिन्ह
सोमवार तड़के 3:30 बजे सीएमएस एयर सीनियर डॉक्टरों की टीम पहुंची, उन्होंने इलाज के अभाव में तड़प रहे कुछ मरीजों को देखा। किसी को सिटी स्कैन तो किसी को तत्काल अन्य जाचे कराने की जरूरत थी। इमरजेंसी सेवाएं ठप होने के कारण सारी व्यवस्था में विराम लगा रहा। इसपर वह मरीज भी चले गए।
ये है पूरा मामला
दरअसल, रविवार(27 मई) को केजीएमयू के पीडियाटिक विभाग के नियोनेटल वार्ड में एक चार महीने के बच्चे की मौत हो गई। परिवारीजनों ने गलत इंजेक्शन लगाने से मौत का आरोप लगाया है। ड्यूटी पर तैनात एक जूनियर डॉक्टर से इलाज को लेकर विवाद हो गया। देखते ही देखते डॉक्टरों और तीमारदारों के बीच मारपीट हुई। विवाद के कारण देर रात तक केजीएमयू और ट्रामा सेंटर में जूनियर डॉक्टरों ने काम बंद कर दिया इमरजेंसी सेवाएं भी ठप हो गईं। दर्जनों मरीजों को बिना इलाज के लौटना पड़ा जबकि भर्ती मरीज इलाज न मिलने से तड़पते रहे। देर रात कार्यवाहक कुलपति डॉ. मधुमिता और सीएमएस डॉ. एसएन शखवार भी जूनियर डॉक्टरों की मान मनौव्वल करते रहे, लेकिन वे अपनी जिद पर अड़े रहे। जूनियर डॉक्टरों ने बंद किया ट्रामा का गेट, बाहर तड़पे मरीज
मारपीट की सूचना पर ट्रामा और वार्ड मौजूद जूनियर डॉक्टरों ने रविवार की देर रात इलाज करना बंद किया और चैनल में ताला लगा दिया। उधर, इमरजेंसी सेवाओं के लिए आ रहे मरीज घटों बाहर एंबुलेंस और अन्य वाहनों में तड़पते रहे। केजीएमयू के कुलपति एमएलबी भट्ट छुट्टी के कारण सड़क के बाहर थे। रात में दूसरी बार हुआ हंगामा
इलाज को लेकर रात में यह दूसरी बार पीडियाटिक विभाग में हंगामा हुआ। पहले करीब रात 10 बजे तीमारदारों और डॉक्टरों में नोकझोंक हुई थी। एक्शन लेती पुलिस तो बच सकती थी बच्चे की जान
पुलिस ने दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर शात करा दिया और चली गई। इसके दो घटे बाद फिर मारपीट हो गई। पुलिस अगर तत्काल कार्रवाई करती को शायद बच्चे की मौत न होती।
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