आफ़ताब फारुकी
इलाहाबाद। अखिल भारतीय दण्डी सन्यासी प्रबंधन समिति की एक आवश्यक बैठक कुम्भ मेले को लेकर झूंसी स्थित कैवल्य आश्रम टीकरमाफी में हुई, जिसमें कहा गया कि कुम्भ मेला हम लोगों के सनातन की रीढ़ है, जिसका प्रतिपादन वैदिक धर्म के आद्यगुरू शंकराचार्य करते आ रहे थे और आज भी उसका निर्वहन हो रहा है। उसी परम्परा में दशनाम सन्यासी अखाड़े आदि आते हैं। समिति के अध्यक्ष विमलदेव आश्रम ने बताया कि बैठक में कुम्भ को लेकर कई प्रस्ताव पारित किये गये। जिसमें कहा गया है कि कुम्भ मेले में दण्डी स्वामी नगर की अपेक्षा के अनुरूप भूमि व सुविधाएं माघ मेले की भांति उपलब्ध कराई जाय, दण्डी स्वामी नगर की भूमि मोरी मार्ग एवं रामानुज मार्ग के मध्य सात गाटों 150 बीघा भूमि उपलब्ध कराई जाय, गंगाजल की स्थिति अभी तक दयनीय है इसे अभी से ही अविरल व निर्मल बनाया जाय, दण्डी स्वामी नगर में यात्रियों हेतु रैन बसेरा तैयार किया जाय, दण्डी स्वामी नगर की प्रत्येक संस्था को टीन घेरा से सुरक्षित किया जाय, प्रयाग में सड़क चैड़ीकरण करने में शासन-प्रशासन का तरीका मंदिर-मस्जिद के प्रति एक जैसा नहीं है जो बर्दाश्त करने योग्य नहीं है, दण्डी स्वामी नगर, रामानुज नगर, खाक चैक एवं प्रयागवाल ये चारों संस्था 11 वर्ष से अनवरत मेले की शोभा बढ़ाते हैं, फिर कुम्भ व अर्धकुम्भ में इनको उपेक्षित क्यों किया जाता है। कहा गया कि शासन -प्रशासन गहनता से विचार करे अन्यथा संस्थाओं के अनादर से कुम्भ मेला उपेक्षित हो सकता है।
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