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पीसीएस परीक्षा 2017 पर दिखा आयोग और अभ्यर्थियों की सोच में बदलाव का असर

कनिष्क गुप्ता 

इलाहाबाद। प्रदेश में सत्ता बदलने के बाद प्रांतीय सेवाओं में योग्य उम्मीदवारों के चयन के लिए दो बड़े बदलाव हुए हैं। पहला, उप्र लोकसेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षा के प्रति सोच बदली और दूसरा, अभ्यर्थियों की आयोग के प्रति धारणा। पीसीएस (मुख्य) परीक्षा 2017 के पहले दिन सामान्य अध्ययन विषय में पूछे गए प्रश्नों पर अभ्यर्थियों ने संतोष जताया। अभ्यर्थियों की मानें तो इस बार विशेषज्ञों ने काफी मेहनत की है। प्रश्नों का चयन बेहतर रहा। इतिहास व अर्थशास्त्र के प्रश्न काफी अच्छे रहे।

गौरतलब है कि आयोग की ओर से करीब छह साल से पीसीएस समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न व उत्तरों पर अभ्यर्थियों की लगातार अंगुली उठती रही है। चयन और आरक्षण में मनमानी के गंभीर आरोप लगे। लेकिन, 24 सितंबर को हुई पीसीएस 2017 की प्रारंभिक परीक्षा में अभ्यर्थियों ने आयोग के विशेषज्ञों की जो सराहना की थी वह सोमवार से शुरू हुई मुख्य परीक्षा में भी कायम रही। अभ्यर्थियों की मानें तो अब से पहले हुई परीक्षाओं में प्रश्नों की पुनरावृत्ति हर साल होती थी। यही प्रमुख वजह थी कि प्रश्नों व उत्तरों को लेकर विवाद हर साल उठे।

अभ्यर्थी बोले

सवाल पहले की अपेक्षा काफी अच्छे रहे, प्रश्नों में पुनरावृत्ति कम है। प्रारंभिक का पेपर भी अच्छा आया था। 2013 से लगातार परीक्षा दे रहा हूं, बदलाव दिख रहा है।–नरेंद्र कुमार
आयोग ने इस बार अच्छे विशेषज्ञों का चयन किया है। पहला पेपर देखने से लग रहा है कि आयोग बदलाव के रास्ते पर चल पड़ा है। पहले भी परीक्षा दे चुके हैं, चयनित भी हुए।–अविनाश
सामान्य अध्ययन के प्रश्न पत्र में अच्छे सवाल पूछे गए। लगाकि आयोग ने विशेषज्ञों में बदलाव किया है। स्तरीय प्रश्न पूछे। इतिहास, जनगणना और समसामयिक के प्रश्नों में पुनरावृत्ति नहीं दिखी।-प्रदीप शर्मा
कई साल से परीक्षा में शामिल हो रही हूं। पहली बार ऐसा लग रहा है कि दिशा से भटकाव नहीं हुआ। तैयारी के अनुसार प्रश्न आए। इतिहास, ज्योग्राफी, अर्थशास्त्र और राज्य व्यवस्था में प्रश्न अच्छे आए।-सौम्या
पहले पेपर में प्रश्नों के उत्तर वैकल्पिक थे। इनमें 2013 से 2016 तक हुई पीसीएस परीक्षा से हटकर कुछ नए प्रश्न पूछे गए। परीक्षा देते समय मानसिक तनाव नहीं रहा।-पंकज कुमार सिंह
पहले भी परीक्षा दे चुके हैं। लेकिन, इस बार पीसीएस की मुख्य परीक्षा और इसकी प्रारंभिक परीक्षा में भी विशेषज्ञों ने प्रश्नों का चयन अच्छा किया। प्रश्न उलझाऊ नहीं रहे, कठिन जरूर थे।-विवेक जावला

पीसीएस मेंस को नहीं दी तरजीह

पीसीएस मुख्य परीक्षा के पहले 1383 अभ्यर्थी परीक्षा देने पहुंचे ही नहीं। क्योंकि सोमवार को ही मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग की ओर से प्रवक्ता भर्ती परीक्षा का साक्षात्कार हुआ। इलाहाबाद सहित यूपी के अन्य जिलों में पुलिस भर्ती परीक्षा थी, एसएससी की ओर से इंटेलिजेंस ब्यूरो की परीक्षा का साक्षात्कार भी था। उप्र लोकसेवा आयोग की मनमानी से असंतुष्ट अभ्यर्थियों ने इन परीक्षा को अधिक महत्व देते हुए पीसीएस की परीक्षा छोड़ दी।

तीन माह पहले बन गए थे पेपर!

पीसीएस मुख्य परीक्षा 2017 में पहले दिन का जो पेपर अभ्यर्थियों को मिला उसमें समसामयिक प्रश्न तो पूछे गए थे लेकिन, कई अभ्यर्थियों की मानें तो इसमें तीन महीने के भीतर हुए विभिन्न घटनाक्रम से संबंधित प्रश्न नहीं थे। जिससे कयास लगाया जा रहा है कि विशेषज्ञों ने प्रश्न पत्र तीन माह पहले ही बना लिए थे।

आयोग के पुराने पैटर्न की आखिरी परीक्षा

पीसीएस 2017 उप्र लोकसेवा आयोग के पुराने पैटर्न की आखिरी परीक्षा है। अब पीसीएस 2018 यूपीएससी के पैटर्न पर होनी है। जिसमें आयोग की ओर से कई बदलाव कर दिए गए हैं। पीसीएस 2017 की प्री और मुख्य परीक्षा में हुए सुधार से अभ्यर्थियों में उम्मीद की नई किरण जगी है तो यह परीक्षा आयोग के लिए भी रिहर्सल की तरह होगी।

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